इस मुद्दे को लेकर मच सकता है भाजपा- कांग्रेस के बीच सियासी घमासान
भोपाल। कांग्रेस सरकार वाले राज्य राजस्थान और छत्तीसगढ़ ने बजट में पुरानी पेंशन योजना लागू कर बड़ा सियासी दांव चला है। इससे भाजपा शासित राज्यों पर दबाव तो बढ़ा ही है। साथ ही जहां कांग्रेस विपक्ष में बैठी है वहां उसे एक बड़ा मुद्दा भी हाथ लग गया है। अब जैसे मुध्यप्रदेश को ही देख लीजिए। मध्यप्रदेश में विपक्ष में बैठी कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे को बडे सियासी हथियार के रूप में इस्तेमाल करने की योजना बना रही है। इसके संकेत और एलान भी पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कर दिया है। बता दें रविवार को शिक्षक कांग्रेस अधिवेशन में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ऐलान किया है कि 2023 में अगर कांग्रेस पार्टी की सरकार बनती है तो मध्यप्रदेश में भी पुरानी पेंशन स्कीम लागू की जाएगी।
प्रदेश के लाखों कर्मचारियों पर कांग्रेस की निगाहें
गौरतलब है कि प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों की तादाद लाखों में है। ऐसे में अगर कर्मचारी वर्ग को साधने में कांग्रेस सफल हो जाती है। तो जाहिर तौर पर सूबे में सुस्त पड़ी कांग्रेस को नई संजीवनी मिल सकती है। क्योंकि कर्मचारी वर्ग चाहे जिस पार्टी की तरफ जाए उसका उद्धार होना तय माना जाता है। लेकिन बड़ा सवाल ये भी है कि भाजपा इस मुद्दे को इतनी आसानी से नहीं छोड़ने वाली है। बड़ी बात नहीं है अंतिम बजट में शिवराज सरकार कोई बड़ा मास्टरस्ट्रोक खेल कांग्रेस के हाथों से ये मुद्दा ही छीन ले। क्योंकि सियासी पंडितों का मानना है कि अंतिम बजट में भाजपा बड़ा दांव चल सकती है। क्योंकि इस बजट में ही कर्मचारी वर्ग को शिवराज सरकार से ये उम्मीदे थीं कि पुरानी पेंशन को लागू किया जाएगा। लेकिन पुरानी पेंशन लागू नहीं होने से कर्मचारी वर्ग में तरह- तरह की चर्चाएँ है।
2023 में पुरानी पेंशन योजना पर खेलेगी कांग्रेस
पुरान पेंशन योजना को लेकर जिस प्रकार से कांग्रेसी नेता अभी से आक्रमक है उससे एक बात स्पष्ट है कि 2023 के चुनावों में ये मसला प्रमुख मुद्दा बनने वाला है। क्योंकि कांग्रेसी नेताओँ ने एलान कर दिया है कि घोषणापत्र में प्रमुखता के साथ कांग्रेस पुरानी पेंशन योजना को शामिल करेगी। कमलनाथ ने तो यहां तक कह दिया कि पुरानी पेंशन योजना को लागू करने से कोई नहीं रोक सकता है।
भाजपा फंसी पशोपेश में
पूरानी पेंशन योजना लागू करने को लेकर भाजपा चौतरफा पशोपेश में फंस गई है। क्योंकि यदि भाजपा शासित राज्य इसे लागू नहीं करते हैं तो कांग्रेस पूरे देशभर में जहां- जहां विपक्ष में बैठी है उसे बड़ा मुद्दा हाथ लग जाएगा। और यदि भाजपा लागू कर देती है तो अन्य भाजपा शासित राज्यों पर नैतिक दबाव बढ़ जाएगा।
