दूरसंचार से अब तक गांवों में संचार क्रांति लाने के लिए सभी योजनाएं फ्लाफ होती जा रही हैं। सहसपुर लोहारा ब्लॉक के दानीघटोली, गैंदपुर सहित अन्य गांवों में योजना के तहत व्यवस्थाएं तो पूरी कर दी गई, लेकिन जिनके लिए यह सुविधाएं जुटाई गई थी, उन ग्रामीणों के लिए वाइ-फाइ की सुविधा अब तक नहीं मिल पाई है।
Published: March 11, 2022 01:12:26 pm
इंदौरी. डिजीटल इंडिया के तहत करीब दो साल पहले गांवों को वाईफाई से लैस कर स्मार्ट गांव बनाने के लिए संचार उपक्रमों के माध्यम से प्रयास किए गए थे, लेकिन यह योजना शुरू होने से पहले ही विफल हो गई है।
दूरसंचार से अब तक गांवों में संचार क्रांति लाने के लिए सभी योजनाएं फ्लाफ होती जा रही हैं। सहसपुर लोहारा ब्लॉक के दानीघटोली, गैंदपुर सहित अन्य गांवों में योजना के तहत व्यवस्थाएं तो पूरी कर दी गई, लेकिन जिनके लिए यह सुविधाएं जुटाई गई थी, उन ग्रामीणों के लिए वाइ-फाइ की सुविधा अब तक नहीं मिल पाई है। गांवों में ई-पंचायतु के तहत ओएफसी, ऑप्टिकल फाइवर चालू न होने के कारण शोपीस बने हुए हैं। रख रखाव और देखरेख के अभाव में उपकरण खराब होने के कगार पर पहुंच गए हैं। कई स्थानों पर इन्हें चलाने के लिए लगाए गए सोलर पैनल घरों में लोग यूज कर रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में संचार क्रांति लाने के लिए पहले लैंडलाइन कनेक्शन दिए गए। इसके बाद डब्ल्यूएल सुविधा लाई गई। यह योजना भी नहीं टीक पाई। इसके बाद ग्रामीणों को इंटरनेट सेवाओं से जोडऩे के लिए ई-पंचायत के तहत ओएफसी, ऑप्टिकल फाइवर केबल कुछ ही गांवों में बिछाए गए हैं, जिनका ग्रामीणों को लाभ नहीं मिल रहा है। यह योजना भी अभी जिले के सभी गांवों में नहीं पहुंच पाई है, जिससे इस योजना के भी पूर्व मं आई योजनाओं की तरह दम तोडऩे का अंदेशा उत्पन्न हो गया है। सुनने में आया है कई गांवों में सोलर पैनल व बैटरी से घरों उजाला हो रहा है और योजना का जो मूल उद्देश्य था वह फ्लाफ होता नजर आ रहा है।
योजना नहीं ले पाई मूर्त रुप
डिजीटल इंडिया केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है। गांव के किसी स्कूल तो किसी पंचायत भवन में सिस्टम लगाया गया है। इस योजना को अमलीजामा पहनाने की जिम्मेदारी कॉमन सर्विस सेंटर को सौंपी गई थी। करीब दो वर्ष पूर्व शुरू की गई इस योजना के तहत प्रत्येक ग्राम पंचायत में ऑप्टिकल फाइबर केबल डाला गया था। इसके साथ ही गांवों के पंचायत कार्यालय पर वाइ फाइ सिस्टम और सिग्नल बढ़ाने के लिए कई स्थानों पर एक्सेस पाइंट लगाए गए थे। दो वर्ष बीतने के बाद भी योजना धरातल पर नहीं उतर सकी है। ज्यादातर पंचायतों का यही हाल है। यानि लाखों रुपए खर्च के बाद भी इसका लाभ ग्रामीणों को नहीं मिल पा रहा है।
योजना का ऐ था उद्देश्य
केंद्र सरकार की इस योजना का मुख्य उद्देश्य था कि गांव के युवाओं को ऑनलाइन फार्म भरने के लिए ब्लॉक व जिला मुख्यालय के सायबर कैफे तक न जाना पड़े। जिला व ब्लाक मुख्यालय तक आने-जाने व कैफे में ज्यादा खर्च होता है। दोनों की बचत के उद्देश्य से गांव में ही इंटरनेट की सुविधा दी गई है। उपयोगकर्ता ग्रामीणों से इसके बदले माह का मामूली शुल्क लेकर उन्हें पासवर्ड और आइडी दी जानी थी, जिसके बाद ग्रामीण अपने मोबाइल और पीसी पर इंटरनेट चला सकते हैं।

ग्राम पंचायत गैंदपुर व दानीघठोली में शो-पीस बना ऑफ्टिकल फाइवर
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