हाइलाइट्स
प्रभावित हिस्से के टिश्यू की बायोप्सी कर लिम्फोमा का पता लगाया जाता है.
लिम्फोमा कैंसर होने पर इसकी गांठें गर्दन, छाती और जांघे पर नजर आ सकती हैं.
World Lymphoma Awareness Day 2023: हमारे शरीर में कैंसर की कोशिकाएं किसी भी वजह से विकसित हो सकती हैं जो शरीर में अक्सर गांठ के रुप में उभरने लगती है, जिन्हें हमें कभी भी हल्के में नहीं लेना चाहिए. कई बार ये गांठे लिम्फोमा जैसे कैंसर की भी हो सकती हैं जिसके पीछे कोई खास वजह सामने नहीं आई हैं. हालांकि यह कहा जा सकता है कि आजकल की परिवर्तित जीवनशैली इसका प्रमुख कारण हो सकती है. कोकिलाबेन धीरुभाई अंबानी अस्पताल, इंदौर के डॉ. सुनित लोकवानी, कन्सल्टेन्ट, मेडिकल ऑन्कोलॉजी एवं हीमेटोलॉजी लिम्फोमा कैंसर से जुड़ी कई जानकारियां दे रहे हैं ताकि हम समय पर सतर्क हो जाएं, तो आइए जानें-
क्या होता है लिम्फोमा
शरीर में होने वाले संक्रमण से लड़ने वाली जो कोशिकाएं होती हैं उन्हें लिंफोसाइट्स कहा जाता है. शरीर में यह कोशिकाएं लिंफ नोड्स, स्प्लीन, थाइमस और बोनमैरो में मौजूद होती हैं. लिंफोमा से ग्रस्त व्यक्ति के शरीर में इन कोशिकाओं में बदलाव होने लगते हैं जो नियंत्रण से बाहर होने लगते हैं, जिससे शरीर के प्रभावित हिस्सों में गांठें बनने लगती हैं, जो कैंसर में परिवर्तित हो जाती हैं.
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लिम्फोमा का पता करें इन लक्षणों से
अधिकांश लिम्फोमा कैंसर होने पर इसकी गांठें गर्दन, छाती और जांघे आदि के ऊपरी हिस्से और ऑर्म पिट्स में नज़र आती हैं. लिंफ नोड्स में त्वचा के नीचे, आर्म पिट्स, पेट या थाइज़ के ऊपरी हिस्से में, सूजन या गांठ, जिसे दबाने पर दर्द का एहसास न हो. स्प्लीन का आकार बढ़ना, हड्डियों में दर्द, खांसी, हमेशा थकान महसूस होना, हलका बुखार, स्किन पर रैशेज़, रात को पसीना आना, सांस फूलना, पेट में दर्द और बिना वजह वज़न घटना आदि इसके लक्षण हो सकते हैं. इनमें से कोई भी लक्षण नज़र आते हैं तो तुरंत ऐसे अस्पताल जहां चौबीस घंटे डॉक्टर्स की उपलब्धता हो ताकि उचित समय पर कैंसर का निदान और सही इलाज मिल सके.
लिम्फोमा की जांच
प्रभावित हिस्से के टिश्यू की बायोप्सी कर लिम्फोमा का पता लगाया जाता है. MRI,CAT Scan और PET-CT के जरिए मालूम किया जाता है कि लिंफोमा शरीर के कौन-से हिस्सों तक फैला है. हड्डियों पर भी कैंसर के फैलने के खतरे का पता करने के लिए बोनमैरो की बायोप्सी की जाती है.
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लिम्फोमा का उपचार
आमतौर पर कीमोथेरेपी द्वारा इसका उपचार होता है. इसके अलावा इम्यूनो थेरेपी द्वारा एंटी बॉडीज़ के इंजेक्शन से कैंसरयुक्त कोशिकाओं को नष्ट किया जाता है. इस उपचार का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें दवा कैंसरयुक्त कोशिकाओं को पहचान कर केवल उन्हीं को नष्ट करती है. आजकल कैंसर जैसी बीमारी के लिए भी ऐसी कई नई टेक्नोलॉजी उपलब्ध जिसके द्वारा कैंसर वाले हिस्से को हटाने के बजाए सिर्फ कैंसर की कोशिकाओं को हटाया जा सकता है ताकि शरीर का कोई हिस्सा खराब न हो सके. अक्सर लिम्फोमा के मरीज पूरी तरह से ठीक हो सकते हैं लेकिन इसके उपयुक्त और उचित इलाज के लिए डॉक्टर से जल्द से जल्द कन्सल्ट करना चाहिए.
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Tags: Health, Health News, Lifestyle
FIRST PUBLISHED : September 15, 2023, 18:29 IST
