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Pancreatic cancer treatment will be easier chemotherapy will be more effective with specific drug study nav – पैनक्रिएटिक कैंसर का इलाज होगा आसान, खास दवा से कीमोथेरेपी बनेगी ज्यादा प्रभावी

Pancreatic cancer treatment will be easier chemotherapy will be more effective with specific drug study nav - पैनक्रिएटिक कैंसर का इलाज होगा आसान, खास दवा से कीमोथेरेपी बनेगी ज्यादा प्रभावी


Treatment of Pancreatic Cancer Will be Easy : दुनिया की सबसे जानलेवा बीमारियों में से एक कैंसर (Cancer) बॉडी के अलग-अलग पार्ट पर वार करके शरीर में प्रवेश करता है. वैसे तो किसी भी बॉडी पार्ट में हुए कैंसर का इलाज मुश्किल होता है. लेकिन पैनक्रियाज (Pancreas) के केस में इसका इलाज ज्यादा मुश्किल हो जाता है. क्योंकि पैनक्रियाज के मामले में जब तक इसका पता चलता है, ये काफी फैल चुका होता है. मेडिकल भाषा में कहें तो ये कैंसर एडवांस्ड स्टेज में पहुंच चुका होता है. ऐसे में डायग्नोस (Diagnose) के बाद मरीज मुश्किल से एक साल तक ही जीवित रह पाता है. ऐसी स्थिति में बहुत तेज कीमोथेरेपी (Chemotherapy) ही इलाज के एक ऑप्शन के रूप में दिखाई देती है. लेकिन इसके साइड इफैक्ट्स (Side Effects) इतने हैं, सोचते हुए भी घबराहट होती है. कैंसर के कई ट्यूमर तो ऐसे होते हैं जिन पर कीमोथेरेपी का असर तक नहीं होता है.

इन स्थितियों से निपटने के लिए साइंटिस्टों ने एक ऐसे ड्रग कंपाउंड (Drug Compound) की पहचान की है, जो पैनक्रिएटिक कैंसर सेल (Pancreatic cancer cell) को इस तरह से कमजोर बना देता है, जिससे वो कीमोथेरेपी (Chemotherapy) के प्रति संवेदनशील हो जाता है. मतलब ट्यूमर पर कीमोथेरेपी (Chemotherapy) का प्रभावी असर होता है और साइड इफैक्ट भी कम होते हैं. अमेरिका के सेंट लुईस (St. Louis) स्थित वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन (Washington University School of Medicine) द्वारा की गई इस स्टडी को ‘साइंस ट्रांसलेशनल मेडिसिन (Science Translational Medicine)’ जर्नल में प्रकाशित  किया गया है.

रिसर्चर्स का कहना है कि चूहों पर की गई स्टडी में पाया गया है कि ये नई ड्रग कीमोथेरेपी कॉकटेल फोल्फिरिनाक्स (FOLFIRINOX) यानी फोलिनिक एसिड, 5-फ्लूरोरासिल, इरिनोटेकन और आक्साप्लिप्टिन के कॉम्बिनेशन से होने वाले साइड इफैक्ट्स को बहुत हद तक कम देता है. दवा का ये कॉम्बिनेशन पैनक्रिएटिक कैंसर के इलाज में आमतौर पर इस्तेमाल होता है.

क्या कहते हैं जानकार
वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन (Washington University School of Medicine)  में एसोसिएट प्रोफेसर, कैंसर स्पेशलिस्ट और इस रिसर्च के सीनियर राइटर कियान एच लिम (Kian H. Lim) का कहना है, मौजूदा स्थितियों को देखते हुए पैनक्रिएटिक कैंसर के इलाज के लिए नई और बेहतर थेरेपी की बड़ी जरूरत है. हम अभी जिस पॉवरफुल दवा का इस्तेमाल करते हैं, वे हमेशा गंभीर साइड इफेक्ट पैदा करती है, जिससे कि ज्यादा कीमोथेरेपी (Chemotherapy) लगभग असंभव हो जाती है. लेकिन ये नई दवा कैंसर सेल (Cancer Cell) को कमजोर कर देती है, जिससे वह इस खास कीमोथेरेपी के लिए उसे (कैंसर सेल को) संवेदनशील (Sensitive) बना देती है.

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दरअसल, प्रयोग के दौरान पाया गया कि जिन चूहों को इस दवा के साथ कीमोथेरेपी (Chemotherapy) दी गई, वे सिर्फ कीमोथेरेपी पाने वाले चूहों की तुलना में ज्यादा हेल्दी दिखे. इससे पता चलता है कि यह नई दवा कीमोथेरेपी के साइड इफैक्ट्स को कम करती है.

क्या होते हैं साइटइफैक्ट्स
फोल्फिरिनाक्स (FOLFIRINOX) पैनक्रिएटिक कैंसर (pancreatic cancer) का सबसे पहला इलाज है, लेकिन देखा गया है कि इसके इस्तेमाल से मुश्किल से 3 में से केवल 1 मरीज में ही ट्यूमर छोटा हुआ. इतना ही नहीं, इसका इफैक्ट भी 6 से 7 महीने तक ही होता है. इसके कुछ कॉमन साइड इफैक्ट्स भी होते हैं, जैसे- मिचली, उल्टी, दस्त, थकान, बालों का झड़ना, खून की कमी और भूख कम लगने के रूप में सामने आते हैं.

क्या है ये दवा
वैज्ञानिकों को पता चला कि एमके2 नाम का एक ऐसा मॉलीक्यूल है, जो पैनक्रिएटिक ट्यूमर सेल को कीमोथेरेपी से बचने में मदद करता है. यह मॉलीक्यूल पैनक्रिएटिक कैंसर सेल में काफी एक्टिव होता है, जो कीमोथेरेपी के सिग्नल का रास्ता बदल देता है, जिससे कि कैंसर सेल्स बच जाते हैं.एटीआइ-450 (ATI-450) नाम की ये दवा एंटी इन्फ्लेमेटरी यानी सूजन कम करने वाली दवा है और रूमेटाइड गठिया (Rheumatoid Arthritis) के इलाज के लिए भी इसका क्लिनिकल ट्रायल (Clinical Trail) चल रहा है.

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एटीआइ-450 इसलिए भी खास है, क्योंकि यह एमके2 इन्हीबिटर (प्रतिरोधक) है. इसलिए जब नई दवा से एमके2 के कामकाज को बाधित किया गया तो चूहों में कीमोथेरेपी का असर ज्यादा हुआ. पाया गया कि जब एटीआइ-450 के साथ दी गई कीमोथेरेपी और एटीआई-450 के बिना ही कीमोथेरेपी दी गई तो एटीआइ -450 वाली कीमोथेरेपी से ट्यूमर का आकार ज्यादा कम हुआ. इतना ही नहीं, इस कॉम्बिनेशन वाला इलाज पाने वाले चूहे कीमोथेरेपी के बाद औसतन 41 दिन जीवित रहे, जबकि सिर्फ कीमोथेरेपी वाले चूहे औसतन 28 दिन ही जिंदा रह पाए. इलाज के इस नए तरीके से न सिर्फ जीवनकाल बढ़ा बल्कि उसके साइडइफैक्ट भी काफी कम रहे.

Tags: Cancer, Health, Health News





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