New Hope for Treating Autism Patients : ऑटिज्म (Autism) या ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्ड (autism spectrum disorder) यानी एएसडी (ASD) एक दिमागी बीमारी है. ये एक ऐसी बीमारी है जो ज्यादातर बच्चों को होती है. इसका पता लगा पाना काफी मुश्किल होता है. बच्चा जब तक 2 या 3 साल का नहीं हो जाता, ऑटिज्म के लक्षण (Symptoms) पता नहीं चलते हैं. बच्चों के व्यवहार, उनकी असामान्य प्रतिक्रिया और हाव-भाव से ही इस बीमारी (Disease) का पता चल सकता है. अगर आपका बच्चा अन्य बच्चों की तुलना में खामोश रहता है या फिर किसी भी बात पर प्रतिक्रिया देर से व्यक्त करता है, तो यह लक्षण ऑटिज्म की बीमारी के हो सकते हैं. यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, सैन डिएगो (University of California San Diego) के स्कूल ऑफ मेडिसिन के रिसर्चर्स की एक टीम ने अपनी नई स्टडी के दौरान कई तकनीकों के सहारे ये जानने की कोशिश की है कि ब्रेन का वह कौन सा हिस्सा है, जो खास बोली या ध्वनि (speech or sound) के प्रति प्रतिक्रिया करता है.
रिसर्चर्स के अनुसार, इस स्टडी में ब्रेन इमेजिंग (brain imaging), आई ट्रैकिंग (eye tracking) और क्लिनिकल टेस्टिंग (clinical testing) के उचित संयोजन के जरिए ऑटिज्म के लिए सटीक दवा बनाने का रास्ता खुल सकता है. इस स्टडी का निष्कर्ष नेचर ह्यूमन बिहेवियर (Nature Human Behavior) जर्नल में प्रकाशित हुआ है.
क्या कहते हैं जानकार
इस स्टडी के सीनियर ऑथर और यूसी सैन डिएगो के स्कूल ऑफ मेडिसिन (School Of Medicine) में न्यूरोसाइंस के प्रोफेसर एरिक कौरचेस्ने (Eric Courchesne) ने बताया कि इस नए एप्रोच से यह पता करने में मदद मिलेगी कि ऑटिज्म पीड़ित बच्चों में सामाजिक प्राथमिकता और ध्यान संबंधित वस्तुनिष्ठ जानकारियों के संदर्भ में ब्रेन कैसे विकसित हो रहा है. उन्होंने बताया कि सामान्य रूप से विकसित होने वाले बच्चों के ब्रेन में मां की बोली की अलग प्राथमिकता होती है. पूर्व की स्टडी से यह पता चल चुका है कि मां की बोली या इशारों का बच्चों के ब्रेन पर अलग प्रभाव पड़ता है. लेकिन इस बारे में बहुत कम शोध हुए हैं कि एएसडी (ASD) से पीड़ित कैसे और क्यों मां की बोली पर प्रतिक्रिया देता और दीर्घावधि में ट्यून आउट होने से क्या प्रभाव पड़ेगा.
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यूसी सैन डिएगो के ऑटिज्म सेंटर में कौरचेस्ने और उनके सहयोगियों ने माना कि एएसडी ग्रस्त बच्चों में उस न्यूरल मैकनिज्म (neuro mechanism) का सही विकास नहीं होता है, जो मां की बोली के प्रति प्रतिसाद करता है. पहली की स्टडी में देखा गया था कि एएसडी से पीड़ित बच्चों में सामाजिक गतिविधियों के प्रति कम रुचि और उत्तेजना सामान्य बच्चों की तुलना में कम होती है.
ऐसे हुई स्टडी
इस स्टडी के दौरान, सोते हुए बच्चे के फंक्शनल मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (FMRI) से मां की बोली तथा अन्य सामाजिक प्रभाव वाली बोली के प्रति ब्रेन की गतिविधियों का आकलन किया. इसके साथ सामाजिक और भाषा विकास का क्लिनिकल मूल्यांकन भी किया. साथ ही आई ट्रैकिंग तकनीक के माध्यम से मां तथा अन्य महिलाओं की बोली और कंप्यूटरीकृत साउंड व इमेज के प्रति रिस्पॉन्स का आकलन किया.
स्टडी में क्या निकला
रिसर्चर्स ने पाया कि कम उम्र में सामाजिक और भाषा विकास में अंतर होता है और स्पीच के लिए एएसडी (ASD) वाले बच्चों में तंत्रिका प्रतिक्रियाएं कमजोर होती हैं. जबकि सामान्य विकास वाले बच्चों में मां कि बोली के प्रति न्यूरल रेस्पॉन्स काफी मजबूत होती है. इसकी और पुष्टि के लिए कंप्यूटेशनल प्रीसीजन मेडिसिन तरीके से एकत्रित डाटा से आई-गेज पैटर्न और बिहेवियर रेस्पॉन्स का भी आकलन किया.
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रिसर्चर्स ने पाया कि ब्रेन में ध्वनि और भाषा की प्रोसेसिंग करने वाले हिस्से सुपीरियर टेंपोरेल कार्टेक्स में मां की आवाज तथा भावनात्मक स्पीच के प्रति एएसडी वाले बच्चों में प्रतिक्रिया कमजोर रही. उनमें मां की आवाज के प्रति आई ट्रैकिंग कम होने के साथ ही सामाजिक समझ की क्षमता भी कमजोर थी. इन प्रमाणों के आधार पर एएसडी से पीड़ित बच्चों के लिए डायग्नोस्टिक टूल औ बायोमार्कर विकसि किए जा सकते हैं जिससे कि एएसडी पीड़ित बच्चों की भिन्नता पता लगाना आसान हो सकेगा.
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