Overtiredness & Sleep: आपका पूरा दिन मानसिक और शारीरिक तौर पर काफी थकान भरा रहा है. ऐसे में आप लंबी और गहरी नींद लेकर खुद को हर तरह से आराम देना चाहते हैं. कई बार आपने महसूस किया होगा कि इसी समय आपका दिमाग आपको परेशान करने लगता है और सोने नहीं देता है. आपके दिमाग में तरह-तरह के विचार आने लगते हैं और आप करवटें बदलते रहते हैं. कई बार आप विचारों को थामने के लिए टीवी, मोबाइल या टैब पर अपने पसंदीदा प्रोग्राम देखने लगते हैं. कुल मिलाकर आप सो नहीं पाते हैं. आपका दिमाग आपको ठीक उस समय सोने से रोक देता है, जब आपके मस्तिष्क और शरीर को नींद की सबसे ज्यादा जरूरत होती है.
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि आप सोने के लिए जरूरी थकान से ‘बहुत ज्यादा थके’ हुए हैं. आपने कभी देखा होगा कि जब छोटे बच्चे अपने शरीर की क्षमता से ज्यादा जाग लेते हैं तो उन्हें सोने में परेशानी होने लगती है. उनके साथ ऐसा ‘अत्यधिक थकान’ की अवस्था में पहुंचने के कारण होता है. युवाओं और उम्रदराज लोगों में भी यही समस्या हो सकती है. हालांकि, उनमें अनियंत्रित भावनाएं शरीर के डिफॉल्ट शटडाउन प्रोग्राम को रोक देती हैं. इसलिए उन्हें अत्यधिक थकान में नींद नहीं आती है. अगर आप लगातार बहुत ज्यादा थके हुए हैं तो नींद में जाना और ज्यादा मुश्किल होता जाएगा. यहां हम वैज्ञानिक शोध पर आधारित तीन ऐसे तरीके बता रहे हैं, जिनको अपनाकर आप अत्यधिक थके होने पर भी आसानी से नींद में जा सकते हैं.
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अत्यधिक थकान कैसे बिगाड़ती है नींद?
सबसे पहले ये समझते हैं कि अत्यधिक थकान आपकी नींद को खराब कैसे करती है. विशेषज्ञों के मुताबिक, अत्यधिक थका होना बेहद खराब विरोधाभास है. इसमें आप शरीर को आराम देना चाहते हैं और आपके लिए सोना मुश्किल हो जाता है. जब आप शारीरिक और मानसिक कामों से खुद को काफी थका हुआ महसूस कर सकते हैं, तो आपका मस्तिष्क वास्तव में अत्यधिक उत्तेजित अवस्था में होता है. इसे हाइपरसोरल कहा जाता है. दिमाग के उत्तेजित होने का मतलब है कि आपका दिमाग हाई अलर्ट पर है. उसे सोने से पहले आराम करने का बिलकुल मौका नहीं मिल पाया है. यह नींद के दबाव बनने की प्रक्रिया को रोक देता है. जब आप दिन में लगातार जागते हैं, तो मस्तिष्क में न्यूरोकेमिकल्स और हार्मोन एकाग्रता में वृद्धि करते हैं.

नींद मस्तिष्क को बहुत ज्यादा उत्तेजित होने और फटने जैसा दर्द होने से रोकती है.
ब्रिस्टल विश्वविद्यालय में तंत्रिका विज्ञान के प्रोफेसर मैट जोंस कहते हैं कि नींद का दबाव बनाने के साथ मस्तिष्क की बाहरी परत यानी आपके सेरेब्रल कॉर्टेक्स में न्यूरॉन्स जागने के दौरान तेजी से उत्तेजना पैदा करते हैं. नींद आपके नींद के दबाव को रीसेट करती है. नींद मस्तिष्क को बहुत ज्यादा उत्तेजित होने और फटने जैसा दर्द होने से रोकती है. हाइपरसोरल की स्थिति ब्रेनस्टेम के छोटे से हिस्से लोकस कोएर्यूलस को प्रभावित करती है. नींद में जाने के लिए दिमाग के इस हिस्से की गतिविधियां धीमी होनी जरूरी हैं. अगर इस हिस्से में असामान्य और तेज गतिविधियां होंगी तो नींद उड़ जाती है. जोंस के मुताबिक, अगर आप नियमित तौर पर थके हुए हैं और नींद नहीं ले पा रहे हैं तो अगली रात फिर परेशानी से गुजरेगी.
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अत्यधिक थकान पर कैसे पाएं काबू?
अगर रात को बहुत ज्यादा थके होने के बाद तकिया पर सिर रखते ही आपका दिमाग हाइपरसोरल की स्थिति में आ जाए तो समझ लीजिए कि आपने दिन का कोई अहम काम अभी तक नहीं निपटाया है. कील विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान के प्रवक्ता डॉ. एलेक्स स्कॉट का कहना है कि मौजूदा दौर में मनुष्य के रूप में हम आम तौर पर अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने और हमारे साथ हुई चीजों से निपटने में काफी खराब हैं. दूसरे शब्दों में कहें तो हम दिन के अंत में अपनी भावनाओं के बारे में सकारात्मक तरीके से सोचने में असमर्थ हो चुके हैं. हम चीजों को अपने नियंत्रण से बाहर कर देते हैं और बिस्तर में अपनी चिंताओं पर विचार करते हैं. डॉ. स्कॉट कहते हैं कि किसी से अपनी चिंता को साझा करके हम भावनाओं को काबू करने की कोशिश के तौर पर महसूस करते हैं. हालांकि, असल में हम इन विचारों को सकारात्मक तौर पर ढाल नहीं पा रहे होते हैं. यह अच्छे मानसिक स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है.
डॉ. स्कॉट के बताए इन तरीकों से अपनी नींद को रीसेट कर सकते हैं…
सच स्वीकार करें और डायरी लिखें
आप खुद सोने की इच्छा नहीं कर सकते हैं. असल में आप जितनी ज्यादा कोशिश करेंगे, सोना उतना ही मुश्किल होता जाएगा. इसीलिए यह देखा गया है कि नींद में जाने के पारंपरिक तरीके अत्यधिक थकान की स्थिति में कारगर साबित नहीं होते हैं. पहला उपाय, आपको यह स्वीकार करना होगा कि नींद स्वचालित प्रक्रिया है. आपके कोशिश करने से नींद नहीं आएगी. इसके बजाय, आपको उन चीजों पर ध्यान लगाना चाहिए, जिनको आप कोशिश करके अपने काबू में कर सकते हैं. दूसरा उपाय, आपको अपनी चिंताओं और भावनाओं को डायरी में लिखने की आदत डालनी चाहिए. इससे आपको गहरी नींद में जाने में मदद मिलेगी. स्कॉट के अनुसार, यह सरल व्यायाम नियमित रूप से नींद की समस्या वाले रोगियों को गहरी नींद में मदद करता है.

बच्चे भी अगर अपनी शारीरिक क्षमता से ज्यादा जाग लेते हैं तो उन्हें नींद में जाने में परेशानी होती है.
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नींद में जाने से पहले आराम करें
डॉ. स्कॉट कहते हैं कि सोने के लिए बिस्तर पर जाने से पहले अपने दिमाग को आराम दें. इसके लिए आप अपने सोने से एक घंटे पहले का अलार्म सेट कर लें. नींद से पहले के इस एक घंटे का इस्तेमाल आप आराम करने और अपने दिमाग को भावनात्मक थकावट से उबरने के लिए करें. इस एक घंटे में किया गया हर काम पूरी तरह से आप पर निर्भर करेगा. अगर आपको किताब पढ़ना पसंद है तो आप मनपसंद चीजों का अध्ययन कर सकते हैं. कुछ लोग डायरी लिखने में इस समय को लगा सकते हैं. अगर आपको टीवी देखना पसंद है तो कोई ऐसी सीरीज देख सकते हैं तो आपको रिलेक्स होने में मदद करे. इससे आपके जल्द गहरी नींद में जाने की संभावना बढ़ जाएगी.
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Tags: Better sleep, Health News, New Study, Research
FIRST PUBLISHED : March 15, 2023, 16:10 IST
