नई दिल्ली. कुछ गंभीर बीमारियां ऐसी भी होती हैं, जिनका असहनीय दर्द मरीज बर्दाश्त करते रहते है, लेकिन उस बीमारी के बारे में किसी को बताने से कतराते रहते हैं. ये मरीज अपनी बीमारी का जिक्र तब करते हैं, जब वह न केवल बेहद गंभीर हो जाती है, बल्कि उसका दर्द बर्दाश्त के बाहर हो जाता है. रेक्टल प्रोलैप्स भी एक ऐसी ही बीमारी है, जिसका दर्द मरीज तब तक बर्दाश्त करता है, जब तक वह खड़े होने या चलने-फिरने के मोहताज नहीं हो जाते हैं.
अपोलो स्पेक्ट्रा अस्पताल के लेप्रोस्कोपिक और बेरिएट्रिक सर्जन डॉ संदीप बनर्जी के अनुसार, पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में रेक्टल प्रोलैप्स की बीमारी सामान्यतौर पर अधिक देखी जाती है. इस बीमारी के चपेट में अाने वाले ज्यादातर मरीजों की उम्र 50 वर्ष से अधिक देखी गई है. कई बार यह बीमारी मरीजों को मानसिक रूप से भी बीमार बना देती है और मरीज एंटी-डिप्रेसेंट दवाइयां लेने के लिए बाध्य हो जाते हैं. इस बीमारी को छिपाने की मुख्य वजह सामान्य तौर पर शर्मिंदगी देखी गई है.
क्या हैं रेक्टल प्रोलैप्स के लक्षण
पटपड़गंज मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में MAMBS विभाग के वरिष्ठ निदेशक डॉ प्रदीप के दीवान के अनुसार, रेक्टल प्रोलैप्स के मरीजों को शुरुआती दौर में कब्ज के बाद लगातार दस्त बने रहने की शिकायत होती है. इसके अलावा, मल त्याग को नियंत्रण करने में असमर्थता और मलाशय से बलगम या खून आना भी रेक्टल प्रोलैप्स के संकेत हो सकते हैं. वहीं, रेक्टल प्रोलैप्स के मरीजो को मल त्याग करने के बाद भी यह महसूस होता है कि अभी पूरी तरह से मलाशय खाली नहीं हुआ है.
वहीं, अपोलो स्पेक्ट्रा अस्पताल के सर्जन डॉ संदीप बनर्जी का कहना है कि रेक्टल प्रोलैप्स के अन्य लक्षणों में मलत्याग के दौरान या बाद में गुदा का बाहर निकलना, खड़े होने या चलते समय गुदा या मलाशय में दर्द महसूस होना, मलाशय की अंदरूनी परत से खून या बलगम का रिसना, खांसने, छींकने या उठाने के बाद गुदा से उभार महसूस होना, मल त्याग के लिए दबाव डालना की जरूरत पड़ना, पेट में दर्द होना, बार-बार कब्ज होना, गुदा-मलाशय में दर्द होना और गुदा में खुजली होना आदि भी शामिल हैं.
क्या हैं रेक्टल प्रोलैप्स के कारण
डॉ प्रदीप के दीवान के अनुसार, रेक्टल प्रोलैप्स बुजुर्ग महिलाओं में अधिक आम है, लेकिन यह किसी भी उम्र वर्ग और पुरुषों को भी हो सकती है. जहां तक सवाल है, यह बीमारी क्यों होती है, तो इस बीमारी के कुछ प्रमुख कारणों में गर्भावस्था, योनि प्रसव और पेल्विक की कमजोर मांसपेशियां शामिल हैं. इसके अलावा, रेक्टल और एनल मसल्स को नियंत्रित करने वाली नसों के क्षतिग्रस्त होने की वजह से भी रेक्टल प्रोलैप्स की बीमारी हो सकती है.
यह भी पढ़ें: मौत की वजह बन सकता है मोटापे के प्रति आपका लापरवाह नजरिया, पढ़ें विशेष रिपोर्ट
इसके अलावा, लंबे समय तक कब्ज की बीमारी और लगातार दस्त बने रहने से भी रेक्टल प्रोलैप्स का खतरा बढ़ जाता है. कई मरीजों का श्वसन और पाचन तंत्र सिस्टिक फाइब्रोसिस नामक अनुवांशिक बीमारी की वजह से कमजोर हो जाता है, जिसकी वजह से रेक्टल प्रोलैप्स की बीमारी का खतरा हो सकता है. इसके अलावा, रीढ़ की हड्डी की समस्या, स्टोक, हिस्टरेक्टॉमी, डिमेंशिया की वजह से भी महिलाओं में इस बीमारी का खतरा बना रहता है.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |
Tags: Health News, Sehat ki baat
FIRST PUBLISHED : May 25, 2022, 15:26 IST
