स्वास्थ्य

Dog Bites: कुत्‍ता काट ले तो हल्‍दी-मिर्च नहीं, पानी के साथ लगाएं ये चीज, रेबीज की होगी छुट्टी, RML अस्‍पताल के डॉ. ने बताया

Dog Bites: कुत्‍ता काट ले तो हल्‍दी-मिर्च नहीं, पानी के साथ लगाएं ये चीज, रेबीज की होगी छुट्टी, RML अस्‍पताल के डॉ. ने बताया


हाइलाइट्स

दिल्‍ली में कुत्‍तों के काटने के मामले तेजी से बढ़े हैं.
डॉग बाइट होने पर रेबीज होने का खतरा रहता है.

Dog Bites and Rabies: हाल ही में दिल्‍ली के वसंत कुंज में दो भाइयों की कुत्‍ते के काटने से मौत हो गई लेकिन मामला सिर्फ इतना नहीं है. अकेले राजधानी में ही पालतू कुत्‍तों के काटने के मामले काफी चौंकाने वाले हैं. दिल्‍ली के दो सरकारी अस्‍पताल सफदरजंग (Safdarjung Hospital) और राम मनोहर लोहिया (Ram Manohar Lohia Hospital) के आंकड़ों पर ही गौर करें तो महज 6 महीने में सफदरजंग में डॉग बाइट्स (Dog Bites) के 29,698 मामले आए हैं तो वहीं आरएमएल में 18,183 केस आए हैं. डॉक्‍टर बताते हैं कि ये सभी रेबीज का टीका (Anti-Rabies Vaccine) लगवाने और इलाज के लिए आने वाले मरीज हैं, हालांकि कई बार लोग कुत्‍ते के काटने वाली जगह पर अपने आप इलाज करके अस्‍पताल लेकर आते हैं जिससे फायदा होने के बजाय परेशानी बढ़ जाती है.

दिल्‍ली के राम मनोहर लोहिया अस्‍पताल (RML Hospital) में कम्‍यूनिटी मेडिसिन में असिस्‍टेंट प्रोफेसर डॉ. सागर बोरकर कहते हैं कि कुत्‍तों का काटना (Dog Bites) आज एक बड़ी समस्‍या बन गया है. हालांकि सभी कुत्‍तों के काटने से रेबीज नहीं होता है. आमतौर पर आवारा कुत्‍ते और वे पालतू कुत्‍ते जिनका रेबीज वैक्‍सीनेशन नहीं हुआ होता है वे इस गंभीर बीमारी को फैलाते हैं. फिर भी रेबीज का डर बना रहता है क्‍योंकि यह 100 फीसदी डेथ रेट वाली बीमारी है. ऐसे में डॉग बाइट के बाद एंटी-रेबीज का टीका लगवाना बहुत जरूरी होता है.

डॉ. बोरकर कहते हैं कि कुत्‍ते के काटने के बाद अस्‍पताल लाने से पहले लोग अपने घरों में घाव पर हल्‍दी बुरक देते हैं. उन्‍हें लगता हैं कि हल्‍दी एंटीबायोटिक है तो यहां काम करेगी. इसके अलावा एक पुराना चलन है लाल मिर्च पाउडर छिड़कने का लेकिन इससे ब्‍लड में रेबीज का वायरस जाने की संभावना घटने के बजाय बढ़ जाती है. इसके साथ ही कुछ लोग अस्‍पताल आने से पहले घाव पर बीटाडीन आदि ट्यूब या अन्‍य कोई ओइंटमेंट इसलिए लगा लेते हैं कि इससे घाव को फायदा पहुंचेगा लेकिन ये सभी चीजें रेबीज के वायरस पर कोई असर नहीं करतीं, उल्‍टे बढ़ावा ही देती हैं.

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आरएमएल अस्‍पताल के डॉ. सागर बताते हैं कि डॉग बाइट के बाद अस्‍पताल में आने मरीजों को इलाज ही नहीं दिया जाता बल्कि उनकी काउंसलिंग भी की जाती है. उन्‍हें समझाया जाता है कि अगर कभी भी कोई कुत्‍ता, बिल्‍ली, बंदर या पालतू जानवर काट ले तो उस घाव वाली जगह पर कुछ भी न लगाएं. बल्कि नल के बहते हुए पानी और घर में मौजूद नहाने वाले साबुन से तुरंत धोकर साफ कर लें. अस्‍पताल पहुंचने से पहले जितने बार भी हो सके नल के बहते हुए पानी और साबुन से डॉग बाइट वाली जगह को धोते रहें. इससे रेबीज का वायरस धुलकर साफ हो जाएगा. अगर यह वायरस रह भी जाता है तो उसके लिए फिर एंटी रेबीज वैक्‍सीन लगाई ही जाती है.

पानी और साबुन से घाव को धोना बहुत जरूरी बात है जो सभी को पता होनी चाहिए. ताकि डॉग बाइट के साथ ही इसे कंट्रोल करने का उपाय घर से ही शुरू किया जा सके. डॉ. सागर बताते हैं कि जब भी अस्‍पताल में मरीज आते हैं तो डॉक्‍टर्स भी उनको घाव को तुरंत साबुन और पानी से साफ करके आने के लिए कहते हैं. लोगों को लगता है कि पानी से घाव में पकाव आ सकता है या साबुन से घाव में जलन हो सकती है लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है. ये दोनों ही चीजें रेबीज के वायरस को खत्‍म करने के लिए हैं. वहीं घाव को ढकने या बंद करने के बजाय उसे खुला छोड़ दें. इससे इसके जल्‍दी ठीक होने की संभावना बढ़ जाती है.

Tags: Attack of stray dogs, Dogs, Lifestyle, Trending news



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