नई दिल्ली. आज कल बेहद छोटे-छोटे अंतराल में हम अक्सर सुन रहे हैं कि शारीरिक रूप से हृष्ट-पुष्ट दिखने वाला शख्स अचानक बेहोश होकर गिर पड़ता है और कार्डियक अरेस्ट से कुछ ही सेकेंडों में उसकी मौत हो जाती है. लगातार सामने आ रही इस तरह की दुखद घटनाएं हर बार हमारे मन में कुछ सवाल छोड़ जाती हैं, जैसे – कार्डियक अरेस्ट होता क्या है, कार्डियक अरेस्ट और हार्ट अटैक में अंतर क्या है, कार्डियक अरेस्ट से पहले क्या हमारा दिल किसी तरह की दस्तक भी देता है, यदि कार्डियक अरेस्ट की स्थिति में हम अपना या अपनों का बचाव कैसे करें आदि.
ये सभी सवाल उस वक्त बेहद गंभीर हो जाते हैं, जब हम किसी ऐसे नौजवान की तरफ देखते हैं, जो अच्छा खासा जिम कर रहा है या लोगों के बीच पूरे जोश से नाच-गा रहा है, और अचानक वह गश खाकर गिर जाता है, कुछ मिनटों के बाद पता चलता है कि कार्डियक अरेस्ट से उसकी मौत हो गई है. कार्डियक अरेस्ट से जुड़े इन तमाम सवालों का जवाब जानने के लिए आज हमने बात की पटपड़गंज मैक्स हॉस्पिटल में इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी एण्ड कार्डिएक साइंसेज डिपार्टमेंट के निदेशक डॉ. परनीश अरोड़ा से. आइए, उन्हीं से समझते हैं कार्डियक अरेस्ट और उससे जुड़े आपको तमाम सवालों के जवाब…
क्या होता है कार्डियक अरेस्ट
डॉ. परनीश अरोड़ा के अनुसार, जब हार्ट पूरी तरह से काम करना बंद कर देता है, उस स्थिति को हम कार्डियक अरेस्ट कहते हैं. कार्डियक अरेस्ट की स्थिति में हार्ट से मस्तिष्क शरीर के सभी प्रमुख अंगों में होने वाला खून का प्रवाह बंद हो जाता है, जिसके चलते महज तीन से पांच सेकेंड के भीतर मरीज बेहोश होकर गिर पड़ता है. मरीज के दिल की धड़कन, सांसे और पल्स पूरी तरह से चली जाती हैं. ऐसी स्थिति में, कार्डियो पल्मोनरी रिसैस्टिटेशन (सीपीआर) के जरिए मस्तिष्क को यदि करीब पांच मिनट के भीतर खून उपलब्ध नहीं कराया गया तो वह भी अपना आकार बदलना शुरू कर देता है और मरीज की मौत हो जाती है.
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क्यों होता है कार्डियक अरेस्ट
डॉ. परनीश अरोड़ा बताते हैं कि कोरोनरी डिजीज इंडिया में सबसे कॉमन है, जिसकी वजह से कार्डियक अरेस्ट होता है. स्वस्थ्य आदमी की बात करें तो करीब 80 से 90 फीसदी लोगों में कार्डियक अरेस्ट की वजह कोरोनरी डिजीज यानी हार्ट अटैक होती है. 10 से 20 फीसदी मामलों में कार्डियक अरेस्ट की वजह एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम होते हैं. एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम में अंडर लाइन स्ट्रक्चरल हार्ट डिजीज यानी हार्ट की बनावट और अनुवांशिक बीमारियां हार्ट अटैक का कारण बनती हैं. इसके अलावा, क्षमता से अधिक वर्कआउट या जिम करने वालों नौजवान भी एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम की वजह से कार्डियक अरेस्ट चपेट में आ जाते हैं.
कैसे पहचानें कार्डियक अरेस्ट
डॉ. परनीश अरोड़ा के अनुसार, कार्डिय अरेस्ट के अर्ली साइन्स नहीं होते हैं, लेकिन वह बीमारी जिसकी वजह से आपको कार्डियक अरेस्ट हो सकता है, उसके अर्ली साइन्स हो सकते है. दरअसल, कार्डियक अरेस्ट का पहला सबसे बड़ा कारण हार्ट अटैक और दूसरा कारण एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम है. हार्ट अटैक की स्थिति में मरीज को पेट के ऊपरी हिस्से, पेट, पीठ, कंधे, हाथ, ठुड्डी, सीने में दर्द हो सकता है. हार्ट अटैक की स्थिति में यह दर्द किसी एक अंग या एक साथ कई अंगों में होता है. इसके अलावा, तेज पसीना आने के साथ उल्टी भी हो सकती है. यदि आपको लगता है पहले इस तरह का दर्द आपने कभी महसूस नहीं किया है तो यह हार्ट अटैक का वार्निंग साइन हो सकते हैं. यही हार्ट अटैक मरीज के लिए कार्डियक अरेस्ट का कारण भी बन सकता है.
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कार्डियक अरेस्ट में कैसे बचे जान
डॉ. परनीश अरोड़ा के अनुसार, हार्ट अटैक की चपेट में आने वाले 50 फीसदी मरीजों की मौत पहले एक घंटे में कार्डियक अरेस्ट की वजह से हो जाती है. ऐसे में जरूरी है कि आपको ऐसा कुछ डिस्कंफर्ट लग रहा है, जो आपने पहले कभी अनुभव नहीं किया है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. वहीं, घर में कार्डियक अरेस्ट घर में होता है तो कार्डियो पल्मोनरी रिसैस्टिटेशन (सीपीआर) देकर मरीज की जान बचाई जा सकत है. उन्होंने बताया कि मरीज को कार्डियो पल्मोनरी रिसैस्टिटेशन, माउथ टू माउथ रेस्पिरेशन और कार्डियक मसाज तब तक देना चाहिए, जब तक मरीज को एडवांस कार्डियक लाइफ सपोर्ट न मिल जाए.
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Tags: Artificial Heart, Cardiac Arrest, Health News, Heart Disease, Sehat ki baat
FIRST PUBLISHED : June 01, 2022, 17:03 IST
