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Bone health: बचपन में हड्डियां तुड़वाएं हैं तो हो जाए सावधान! आगे भी है खतरा, पढें क्यों

Bone health: बचपन में हड्डियां तुड़वाएं हैं तो हो जाए सावधान! आगे भी है खतरा, पढें क्यों


Bone fracture risk: बचपन की शरारतों में हड्डियां टूटनी आम बात है. लेकिन बचपन की यह शरारत आगे की उम्र में परेशानियां पैदा कर सकती है. जी हैं, अगर बचपन में आपने अपनी हड्डियां तुड़वाई है तो बड़ी उम्र में आकर आपको सतर्क रहने की जरूरत है, क्योंकि बचपन में टूटी हड्डियां भविष्य में ऑस्टियोपेरोसिस या बोन फ्रेक्चर की निशानी हो सकती है. यह बात एक अध्ययन में सामने आई है. अध्ययन में अधेड़ उम्र के लोगों पर अध्ययन के दौरान पाया गया कि जिनकी बचपन में हड्डियां टूटी थी, उनमें बाद में जाकर बोन फ्रेक्चर और ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा कई गुना बढ़ गया. अध्ययन में शामिल लोगों के बोन फ्रेक्चर का जब इतिहास खंगाला गया, तब यह बात सामने आई. यह अध्ययन करीब पांच दशक के डेटा को जुटाकर किया गया है. बाद में इस डेटा का विश्लेषण किया गया था.

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अधेड़ उम्र में बोन फ्रेक्चर का जोखिम दोगुना
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक अध्ययन में पाया गया था कि जिन्होंने बचपन में एक या अधिक बार अपनी हड्डियां तुड़वाई, उनमें अधेड़ उम्र में हड्डियां टूटने या बोन फ्रेक्चर की आशंका दोगुना बढ़ गई. महिलाओं में तो इसका और भी बुरा परिणाम देखा गया. अध्ययन के मुताबिक यदि बचपन में बोन फ्रेक्चर हुआ है तो 45 की उम्र तक आते-आते महिलाओं में हिप के आसपास बोन डेंसिटी बहुत कम हो गई. यानी ऐसी महिलाओं में हिप फ्रेक्चर होने का जोखिम बढ़ गया. अध्ययन के लेखक ने बताया कि अध्ययन में युवाओं को भी शामिल किया गया था और उनमें फ्रेक्चर को जोखिम और ऑस्टियोपोरोसिस के बारे में पड़ताल की गई.

लाइफस्टाइल हेल्दी बनाने से जोखिम कम
अध्ययन में एक अच्छी बात भी यह सामने आई है कि जिस व्यक्ति ने बचपन में अपनी हड्डियां तुड़वाई है और जवानी आने पर खुद का लाइफस्टाइल हेल्दी बना लिया है, उनकी बोन डेंसिटी में सुधार हो सकता है. यानी यदि आपने शुरुआत से ही अपना लाइफस्टाइल सही किया है. हेल्दी डाइट ले रहे हैं तो यह समस्या आपके साथ नहीं होगी. लाइफस्टाइल में परिवर्तन ही बोन हेल्थ के जोखिमों से बचने के लिए उत्तम उपाय है. इससे ऑस्टियोपोरोसिस की आशंका भी कम हो जाती है. अध्ययन में कहा गया है कि लगभग दो में से एक बच्चे कभी न कभी अपनी हड्डियां तोड़ लेते हैं. इनमें से एक चौथाई लड़के और 15 प्रतिशत लड़कियां मल्टीपल फ्रेक्चर की शिकार हो जती हैं. हालांकि अध्ययन में यह पता नहीं चल सका कि क्यों कुछ बच्चों को बार-बार हड्डियां टूट जाती है. इस अध्ययन से जिस व्यक्ति की हड्डी बचपन में टूटी हैं, उन्हें सतर्क रहने की जरूरत है.

Tags: Health, Health tips, Kidney, Lifestyle



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