स्वास्थ्य

AVN जैसी जटिल बीमारी का आयुर्वेद में इलाज संभव, खून की कमी से गलने लगती है हड्डियां

AVN जैसी जटिल बीमारी का आयुर्वेद में इलाज संभव, खून की कमी से गलने लगती है हड्डियां


विनय अग्निहोत्री/भोपाल. पिछले कुछ साल में देश भर में एवीएन के मरीज बहुत ज्यादा देखने को मिले है. एवैस्कुलर नेक्रोसिस (Avascular-Necrosis) या AVN हड्डियों में होने वाली एक ऐसी बीमारी होती है जिसमें खून की कमी से बोन टिशू मरने लगते हैं. इसके बारे में मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के पंडित खुशीलाल आयुर्वेदिक अस्पताल के डॉक्टर दीपक से हमने बात की. भारत के हजारों साल पुरानी चिकित्सा पध्दति आयुर्वेद के विशेषज्ञ भोपाल के पंडित खुशीलाल आयुर्वेदिक अस्पताल के डॉक्टर दीपक ने बताया कि पर्याप्त मात्रा में खून न मिलने पर हड्डी कुछ समय के बाद सड़ने लग जाती है. आयुर्वेद में इसे पित्त द्रव (कड़वे जड़ी-बूटी) की मदद से ठीक किया जाता है.

आयुर्वेद डॉक्टर बताते हैं कि आयुर्वेद में एवैस्कुलर नेक्रोसिस जैसी गंभीर बीमारी का भी इलाज संभव है. हड्डी के सड़ने या गलने की स्थिति को ठीक करने के लिए मरीज को पित्त द्रव या कड़वे जड़ी-बूटी का सेवन करवाया जाता है. माना जाता है कि कड़वे हर्ब हड्डियों के लिए सेहतमंद होते है. आम तौर पर कड़वे हर्ब से तैयार द्रव का पान करवाया जाता है या बस्ती थैरेपी (मल द्वार से) देते हैं. इसमें नीम, पटोला, गिलोय जैसे हर्ब शामिल होते हैं. साथ ही, प्रभावित स्थान पर मालिश और भाप देते हैं. इससे एवैस्कुलर नेक्रोसिस की परेशानी धीरे-धीरे खत्म होने लगती है.

पंडित खुशीलाल अस्पताल में करीब 50 से ज्यादा लोगों का ABN से जूझ रहे इस खतरनाक बीमारी का इलाज सफल हुआ है. डॉक्टर दीपक ने बताया कि पिछले कुछ दिनों में शहर में अपने एवीएन चाय वाले का नाम सुना होगा राजधानी में इसका इलाज कहीं भी संभव नहीं हो पा रहा था. इसलिए उसने अपना जीवन यापन करने के लिए अशोका गार्डन के पास अपना AVN चाय वाले नाम से शॉप शुरू किया. जब वह हमारे पंडित खुशीलाल आयुर्वेदिक हॉस्पिटल आता है, इसका हंड्रेड परसेंट इलाज करते हैं और इसको इसमें कई राहत भी मिलती है और वह पूरी तरह अब ठीक है.

आयुर्वेदिक में इस खतरनाक बीमारी का इलाज संभव है. हमारे यहां राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और मध्य प्रदेश के ज्यादातर मरीज आ रहे हैं. यहां उनका इलाज चल रहा है.

क्या है AVN बीमारी?

एवैस्कुलर नेक्रोसिस या AVN हड्डियों में होने वाली एक ऐसी बीमारी होती है जिसमें खून की कमी से बोन टिशू मरने लगते हैं. आसान भाषा में इस स्थिति को हड्डी की मौत या हड्डियों का गलना भी कहते हैं. इसके अलावा आयुर्वेद में इसे ‘अस्थि क्षय’ या ‘अस्थि मज्जा क्षय’ भी कहते हैं. एवैस्कुलर नेक्रोसिस या ओस्टियो नेक्रोसिस की प्रक्रिया में आम तौर पर महीनों से लेकर वर्षों तक का समय लगता है.

कुछ डेटा बताते हैं कि हर साल भारत में एवस्कुलर नेक्रोसिस के लगभग 16,000 नए मामले मिलते हैं. हालांकि, इस बीमारी के प्रसार को लेकर अभी और सर्वे की आवश्यकता है. इस बीमारी में जल्द या बाद में कुल हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी की आवश्यकता होती है. क्योंकि एवस्कुलर नेक्रोसिस से प्रभावित होने वाला सबसे आम जोड़ कूल्हा होता है. एवीएन का समय पर इलाज ना करवाया जाए, तो जोड़ों में हड्डियों के बीच की जगह धीरे-धीरे पूरी तरह से खत्म हो जाती है और हड्डियों की सतह भी चिकनी नहीं रहती है.

Tags: Ayurveda Doctors, Bhopal news, Health News, Local18, Mp news



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