हिमांशु जोशी/पिथौरागढ़. आयुर्वेद विश्व की प्राचीनतम चिकित्सा प्रणालियों में से एक है. जिसका संबंध मानव शरीर को निरोग रखने, रोग हो जाने पर रोग से मुक्त करने अथवा उसका शमन करने तथा आयु बढ़ाने से है. भारत के अलावा नेपाल और श्रीलंका में भी आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति का प्रयोग होता है. जिसका प्रभाव अब पूरे विश्व में देखने को मिल रहा है. ऐसी मान्यता है कि आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति का कोई भी दुष्प्रभाव अभी तक नहीं देखा गया हैं. आयुर्वेद एक प्राचीन चिकित्सा विज्ञान है जो कम से कम 5,000 वर्षों से भारत में प्रचलित है. यह शब्द संस्कृत के शब्द अयुर (जीवन) और वेद (ज्ञान) से आया है. आयुर्वेद, या आयुर्वेदिक चिकित्सा को कई सदियों पहले ही वेदों और पुराणों में उल्लेख किया गया है.
आयुर्वेदिक चिकित्सा में एक ऐसी पद्धति है जिसके बारे में आज हम आपको बता रहे हैं जिसका नाम है शिरोधारा, शिरोधारा पद्धति आयुर्वेद के पंचकर्म में आती है. जो दिखने में काफी सरल है लेकिन इसके फायदे तमाम है.
क्या है शिरोधारा का मतलब ?
शिरोधारा का मतलब है सिर की धारा.इस पद्धति में माथे के बीच में तेल की धार डालकर अनेक मानसिक विकारों को ठीक किया जाता है. जो पिथौरागढ़ जिले में भी अब आसानी से लोग करा सकते हैं. यहां के रहने वाले योगाचार्य विजय प्रकाश जोशी ने जिले में पहले पंचकर्म चिकित्सा पद्धति की शुरुआत की है. यहां आपको अनेक आयुर्वेदिक इलाज मिल जाएगा. लोकल 18 से बातचीत में योगाचार्य ने शिरोधारा पद्धति के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि यह पद्धति 40 प्रकार के रोगों से बचने में सहायक होती है. लंबे समय तक सिरदर्द, नींद न आना, डिप्रेशन, आंखे कमजोर होना, मैमोरी लॉस होना आदि चीजों में शिरोधारा पद्धति से इन रोगों का इलाज होता है.
7 दिन में सिरदर्द पूरी तरह से गायब
पिथौरागढ़ के ही रहने वाले रमेश चंद्र कापड़ी ने बताया कि उन्हें लंबे समय से सिरदर्द की शिकायत रहती थी. जिसके बाद उन्होंने शिरोधारा पद्धति से 7 दिन लगातार इलाज करवाया और आज वह काफी अच्छा महसूस कर रहे हैं. शिरोधारा पद्धति या अन्य कोई भी आयुर्वेद के माध्यम से इलाज कराने के लिए आप योगाचार्य विजय प्रकाश जोशी से इस +919917712188 नम्बर पर सम्पर्क कर सकते हैं. जिनका कार्यालय जाजरदेवल में स्थित है.
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FIRST PUBLISHED : September 08, 2023, 13:43 IST
