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सर्दियों में होने वाली टॉन्सिल्स की समस्या को न करें इग्नोर, कैंसर की भी वजह बन सकता है ये

सर्दियों में होने वाली टॉन्सिल्स की समस्या को न करें इग्नोर, कैंसर की भी वजह बन सकता है ये


Tonsil Cancer Symptoms: हमारे मुंह के पीछे साइड दो अंडाकार के पैड होते हैं जिन्हें हम टॉन्सिल कहते हैं. सर्दियों के मौसम में कई लोगों को गेल में खराश, खांसी, और सूजन की समस्या हो जाती है इसका एक बड़ा कारण टॉन्सिल में इंफेक्शन भी हो सकता है. इस इंफेक्शन को ही टॉन्सिलिटिस कहा जाता है. टॉन्सिल्स हमारे शरीर का एक बहुत जरूरी अंग होते हैं जो कि संक्रमण से हमारी रक्षा करते हैं. टॉन्सिल्स में संक्रमण अधिक होने की वजह से कई बार मरीज को बोलने में भी दिक्कत होती है.

हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के अनुसार टॉन्सिल्स किसी भी उम्र में हो सकता है. कभी कभी इसकी समस्या इतनी गंभीर भी हो जाती है कि इसकी वजह से बुखार तक आ जाता है. सामान्यतौर पर तो टॉन्सिल की समस्या एक सप्ताह में खत्म हो जाती है लेकिन, अगर यह लंबे समय तक रही तो इससे कैंसर का भी जोखिम बना रहता है. टॉन्सिल कैंसर तब होता है जब टॉन्सिल्स वाली कोशिकाओं में असमान्य रूप से वृद्धि होने लगती है. टॉन्सिल कैंसर से पीड़ित व्यक्ति को निगलने में कठिनाई, सूजन और गर्दन में दर्द, जबड़े में अकड़न, कान में दर्द की दिक्कत हो सकती है.

टॉन्सिल कैंसर के लक्षण: टॉन्सिल कैंसर के कई लक्षण हो सकते हैं…

– निगलने में दिक्कत होना

– निक्षालन के दौरान दर्द

– कान में लगातार दर्द होना

– आवाज की बनावट में बदलाव

– वजन में कमी, भूख न लगना, थकान

– सरवाइकल लिम्फ नोड इजाफा

– जबड़े का सख्त हो जाना

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टॉन्सिलिटिस के ज्यादातर मामले सामान्य वायरस के संक्रमण की वजह से होते हैं लेकिन कई बार यह बैक्टीरिया के संक्रमण से भी हो जाता है. आमतौर पर टॉन्सिलाइटिस स्ट्रेप्टोकोकल बैक्टीरिया (streptococcal bacteria) की वजह से होता है जो कि स्ट्रेप थ्रोट का कारण बनता है. अगर समय पर इसका इलाज न हुआ तो गंभीर स्थिति बन सकती है.

टॉन्सिल्स के प्रकार: टॉन्सिलाइटिस गले की एक गंभीर समस्या हो सकती है. इसके होने से खाने और बोलने में दिक्कत होती है. यह छह प्रकार का होता है.

एक्यूट टॉन्सिलाइटिस ( Acute Tonsillitis): इसमें एक जीवाणु या वायरस टॉन्सिल्स को संक्रमित करता है, जिसके कारण गले में सूजन और खराश होने लगती है. इसमें टॉन्सिल्स ग्रे या सफेद रंग के हो जाते हैं. एक्यूट टॉन्सिलाइटिस अचानक से होता है और यह कुछ ही दिन में ठीक हो जाता है.

क्रोनिक टॉन्सिलाइटिस ( Chronic Tonsillitis):- अगर किसी को जल्दी जल्दी टॉन्सिल्स हो रहा है तो इस बात की संभावना है कि उसे क्रोनिक टॉन्सिलाइटिस हो सकता है. कभी-कभी एक्यूट टॉन्सिलाइटिस होने के बाद भी क्रोनिक टॉन्सिलाइटिस हो जाता है.

पेरिटॉन्सिलर एब्सेस ( Peritonsillar Abscess):- टॉन्सिलाइटिस के इस प्रकार में टॉन्सिल्स में मवाद जमने लगती है. पेरिटॉन्सिलर फोड़ों को तत्काल सुखा देना चाहिए। लंबे समय तक रहने से इससे कैंसर का खतरा बढ़ जाता है.

एक्यूट मोनोन्यूक्लियोसिस (Acute mononucleosis):- आमतौर पर एपस्टीन बार वायरस की चपेट में आने के कारण होता है। इसकी वजह से के कारण टॉन्सिल्स में गंभीर सूजन, बुखार, गले में खराश, लाल चकत्ते की समस्या हो जाती है.

स्ट्रेप थ्रोट (Strep throat):- स्ट्रेप थ्रोट टॉन्सिलाइटिस स्ट्रेप्टोकोकस नामक एक बैक्टीरिया की वजह से होता है. इसकी वजह से गला भी पूरी तरह से संक्रमित हो जाता है. गले की खराश के साथ इसमें गर्दन दर्द और बुखार आने लगता है.

टॉन्सिलोइथ्स या टॉन्सिल स्टोन्स (Tonsilloliths or Tonsil Stones):- टॉन्सिलोइथ्स प्रकार का टॉन्सिलाइटिस तब होता है जब कोई अपशिष्ट गले में फंसा हो और वह सख्त हो जाए.

Tags: Cancer, Health, Lifestyle



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