Blood Cancer in Children: बुखार एक सामान्य बीमारी है जो बच्चों या बड़ों किसी को भी हो सकता है. इसके अलावा कोरोना, मलेरिया, टायफॉइड, वायरल फीवर हो या हाल फिलहाल में संक्रमण फैला रहा एचथ्रीएनटू इन्फ्लूएंजा वायरस (H3N2 Influenza Virus), इन सभी में भी सबसे पहले बुखार (Fever) ही आता है और कई दिनों तक रहता है. इन्ही सब के चलते लोग इसे गंभीरता से नहीं लेते और सामान्य इलाज करवाते रहते हैं लेकिन बच्चों में यह एक खतरनाक बीमारी का संकेत भी हो सकता है. डॉक्टरों की मानें तो अगर किसी बच्चे को इलाज कराने के बाद भी बिना किसी कारण बार-बार बुखार आ रहा है या दो हफ्ते तक बुखार ठीक नहीं हो रहा है तो यह ब्लड कैंसर(Blood Cancer) यानि ल्यूकेमिया (Leukemia) का लक्षण भी हो सकता है.
दिल्ली स्थित साकेत के मैक्स सुपरस्पेशलिटी अस्पताल के डिपार्टमेंट ऑफ हेमेटोलॉजी एंड बॉन मेरो ट्रांस्प्लांट के डायरेक्टर डॉ. रयाज अहमद बताते हैं कि पीडियाट्रिक्स में ब्लड कैंसर के मामले काफी सामने आ रहे हैं. हालांकि एक अच्छी बात ये है कि अगर बच्चों में यह रोग शुरुआत में ही पकड़ में आ जाता है तो पूरी तरह ठीक भी हो सकता है. खास बात है कि बड़ों मुकाबले बच्चों में ब्लड कैंसर के ठीक होने की क्षमता ज्यादा होती है. मिडिल स्टेज या खराब स्टेज में भी 75 से 80 फीसदी बच्चे पूरी तरह स्वस्थ हो जाते हैं और ये बीमारी वापस नहीं लौटती.
. बुखार, तेज बुखार या लंबे समय तक बुखार आना. इलाज के बावजूद अगर दो हफ्ते से ज्यादा लंबे समय तक बुखार आ रहा है तो जांच की जरूरत है.
. बच्चे का अचानक खाना-पीना छोड़ देना या भूख न लगना.
. खेलना-कूदना छोड़ देना.
. बच्चे का पीला या सफेद पड़ जाना.
. बच्चे के जोड़ों में दर्द होना.
. गर्दन, जांघ के नीचे, टांग या हाथ में गिल्टी या गांठ का होना.
. पेट पर सूजन आना.
. त्वचा पर लाल धब्बे पड़ जाना.
. नाक या मुंह से खून आना.
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डॉ. रियाज कहते हैं कि ब्लड कैंसर जेनेटिक नहीं होता है. ऐसा नहीं है कि अगर किसी को परिवार में ये बीमारी है तो उसके बच्चों को भी यह होगी या पीढ़ियों में यह होती रहेगी. यह बीमारी किसी को भी हो सकती है.
आमतौर पर लोगों को लगता है कि ब्लड कैंसर है तो बार-बार खून बदलवाना पड़ेगा लेकिन ऐसा नहीं है. जो बार-बार कीमोथेरेपी होती है उसमें शरीर का खून साफ किया जाता है. इस थेरेपी के बाद खून कम हो जाता है. जिसके लिए खून चढ़ाना भी पड़ता है. ऐसे में लोगों को लगता है कि बार-बार खून बदला जा रहा है लेकिन असर में ये कीमोथेरेपी दी जा रही होती है. ये थेरेपी कैंसर को शरीर में कम करती है. डॉ. कहते हैं कि दूसरी चीज होती है बोन मेरो ट्रांस्प्लांट. इसमें डीएनए जांच करके और मां, पिता या भाई बहन से लेकर खून बदला जाता है हालांकि यह प्रक्रिया सिर्फ एक बार ही होती है.
डॉ. कहते हैं कि इस बीमारी के इलाज का सक्सेज रेट बहुत अच्छा है. मान लीजिए एक हजार बच्चों को ब्लड कैंसर की बीमारी है और उनका इलाज होता है तो कम से कम 900 बच्चे इलाज के बाद पूरी तरह ठीक हो सकते हैं. अगर ज्यादा गंभीर या पूअर स्टेज वाले हैं तो 700-750 बच्चे ठीक हो सकते हैं.
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Tags: Blood, Cancer, Cancer Survivor, Children
FIRST PUBLISHED : March 19, 2023, 18:06 IST
