हाइलाइट्स
लिवर में जमा फैट ब्रेन की हेल्थ के लिए खतरनाक साबित हो सकता है.
फैटी लिवर से बचने के लिए लोगों को कम फैट वाली डाइट लेनी चाहिए.
How Fatty Liver Disease Affect Brain: अनहेल्दी लाइफस्टाइल और खान-पान की वजह से लोगों की सेहत काफी प्रभावित हो रही है. आजकल फैटी लिवर डिजीज के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. इस डिजीज में लिवर के अंदर फैट जमा हो जाता है, जिससे लिवर सही तरीके से काम नहीं कर पाता. लिवर की फंक्शनिंग गड़बड़ाने पर शरीर का पूरा सिस्टम प्रभावित हो जाता है. एक हालिया स्टडी में पता चला है कि फैटी लिवर डिजीज का ब्रेन पर गहरा असर होता है. अगर लंबे समय तक फैटी लिवर की समस्या रहे, तो इससे ब्रेन की फंक्शनिंग बिगड़ जाती है और दिमाग की कई खतरनाक बीमारियां हो सकती हैं. इस स्टडी में ब्रेन और फैटी लिवर को लेकर कई बातें सामने आई हैं. इस बारे में जान लीजिए.
फैटी लिवर से ब्रेन में हो जाती है ऑक्सीजन की कमी !
ANI की रिपोर्ट के मुताबिक ब्रिटेन के शोधकर्ताओं ने अपनी नई स्टडी में बताया है कि नॉन-एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज की वजह से लिवर में फैट जमा हो जाता है. इससे ब्रेन में ऑक्सीजन सही तरीके से नहीं पहुंच पाती और ऑक्सीजन की कमी हो जाती है. ऐसी कंडीशन में ब्रेन के टिश्यू (Tissue) सूज जाते हैं. इस सूजन से ब्रेन की गंभीर बीमारियों की शुरुआत हो जाती है.दरअसल लिवर में जमा फैट ब्रेन की रक्त वाहिकाओं की संख्या और मोटाई को प्रभावित करता है, जिससे ऑक्सीजन कम पहुंचती है. इससे ब्रेन की फंक्शनिंग में गिरावट होती है. यह स्टडी किंग्स कॉलेज लंदन और लॉजेन यूनिवर्सिटी से संबद्ध रोजर विलियम्स इंस्टीट्यूट ऑफ हेपेटोलॉजी के वैज्ञानिकों ने की है. यह पहली ऐसी स्टडी है, जिसमें फैटी लिवर डिजीज और ब्रेन की परेशानियों के कनेक्शन को साफतौर पर बताया गया है. दुनिया की करीब 25 प्रतिशत आबादी नॉन-एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज से प्रभावित हो रही है. मोटापे और रोगजनक कंडीशन से जूझ रहे 80 प्रतिशत लोगों को फैटी लिवर डिजीज सबसे ज्यादा प्रभावित करती है.
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चूहों पर की गई थी यह स्टडी
यह स्टडी चूहों पर की गई थी, जिसका उद्देश्य नॉन-एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) और मस्तिष्क की शिथिलता के कनेक्शन को जानना था. अब तक कई स्टडी में यह बात सामने आ चुकी है कि अनहेल्दी खान-पान और मोटापे का ब्रेन पर असर पड़ता है. हालांकि इस स्टडी में इन दोनों के बीच का कनेक्शन पूरी तरह साफ हो गया है. इस स्टडी में शामिल किए गए चूहों को दो अलग-अलग तरह की डाइट दी गई. आधे चूहों को 10 प्रतिशत ज्यादा फैट वाली डाइट दी गई, जबकि अन्य चूहों को 55 प्रतिशत फैट वाली डाइट दी गई. 16 सप्ताह के बाद शोधकर्ताओं ने लिवर और ब्रेन पर इन डाइट का असर देखने के लिए स्टडी की. रिसर्च करने वाले वैज्ञानिकों ने पाया कि हाई फैट खाने वाले सभी चूहे मोटापे से ग्रस्त हो गए. इनमें फैटी लिवर, इंसुलिन रजिस्टेंस और मस्तिष्क की शिथिलता जैसी परेशानियां हो गईं. अध्ययन से यह भी पता चला है कि NAFLD वाले चूहों के मस्तिष्क में ऑक्सीजन का स्तर कम था.
डाइट में कम से कम फैट करें शामिल
इस स्टडी की लीड ऑथर डॉ. एन्ना हैजीहंबी का कहना है कि यह देखना बहुत ही चिंता की बात है कि लिवर में फैट जमा होने का असर दिमाग पर हो सकता है. यह अक्सर हल्के लक्षणों से शुरू होता है और कई सालों तक लोगों को बिना पता चले मौजूद रह सकता है. यह शोध इस बात पर जोर देता है कि हमारी डाइट में चीनी और फैट की मात्रा को कम करना न केवल मोटापे से निपटने के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि मस्तिष्क के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए भी जरूरी है. डिप्रेशन और डिमेंशिया जैसी विकासशील स्थितियों के जोखिम को कम करने के लिए लिवर को सेफ रखना महत्वपूर्ण है. खासतौर से बुजुर्ग लोगों को इसक ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि इस उम्र में दिमाग और भी नाजुक हो जाता है.
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Tags: Brain, Health, Lifestyle, Trending news
FIRST PUBLISHED : December 26, 2022, 11:38 IST
