प्रेग्नेंसी के दौरान मां और गर्भ में पल रहे बच्चे की सेहत बेहद नाजुक होती है. इस दौरान मां की सेहत का ख्याल रखना बेहद जरूरी होता है. मां की सेहत पर ही बच्चे की सेहत निर्भर करती है. अगर मां की सेहत खराब होगी तो बच्चे के ऊपर सीधा असर पड़ेगा. इस दौरान एक बीमारी जिसका जिक्र बार-बार आता है, और बेहद कॉमन माना जाता है. इसका नाम है एनीमिया. एनीमिया की वजह से रक्त में हीमोग्लोबिन का स्तर सामान्य से कम हो जाता है और उसके बाद समस्या शुरू हो जाती है. हीमोग्लोबिन का काम होता है लाल रक्त कोशिकाओं को ऑक्सीजन इकट्ठा करने और उसे पूरे शरीर में पहुंचाने का और अगर कम होगा तो मुश्किल बढ़ जाएगी. आइए विस्तार से बताते हैं आपको एनीमिया के बारे में और इसके होने वाले बच्चे पर खतरों के बारे में.
क्यों होता है एनीमिया?
हेल्थलाइन के अनुसार एनीमिया एक ऐसी स्थिति है जहां पर एक गर्भवती महिला के रक्त में हीमोग्लोबिन का स्तर सामान्य से काफी कम हो जाता है जिसकी वजह से पूरे शरीर में ऑक्सीजन सही मात्रा में नहीं पहुंच पाता है. सामान्य तौर पर एनीमिया की स्थिति तब मानी जाती है जब आपको पर्याप्त मात्रा में आयरन ना मिले. आयरन अगर नहीं मिलेगा तो रक्त में हीमोग्लोबिन का स्तर कम हो जाएगा और इसी रक्त की कमी को एनीमिया कहते हैं.
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गर्भावस्था और एनीमिया
अगर किसी गर्भवती महिला के खून में पर्याप्त हीमोग्लोबिन नहीं होगा तो शरीर के अंगों और ऊतकों को सामान्य से कम ऑक्सीजन मिलेगी. गर्भ में मौजूद शिशु मां के द्वारा मिल रही चीजों और ऑक्सीजन पर निर्भर करता है इसलिए उसके स्वास्थ्य के लिए बेहतर भी नहीं होगा. अगर हम भारत की बात करें तो भारत महिलाओं में आयरन की कमी वाली एनीमिया का सबसे बड़ा देश है. शोध की मानें तो भारत में 10 में से 6 गर्भवती महिलाओं में एनीमिया है. और कई जगहों पर यह आंकड़ा इससे भी कहीं ज्यादा है.
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इसके उलट अगर डॉक्टर से आप समझने की कोशिश करेंगी कि आयरन कितना जरूरी है तो आपको पता चलेगा कि सामान्य परिस्थिति से ज्यादा आयरन की जरूरत गर्भावस्था के दौरान होती है. क्योंकि गर्भवती महिला के जरिए ही बच्चे का भी पोषण हो रहा होता है इसलिए एक ही जरिए से दो जीवों भर का पोषण लेना होता है.
एनीमिया के लक्षण
थकान, कमजोरी या ऊर्जा में कमी महसूस होना. सांस की कमी महसूस होना, चक्कर आना, सिर दर्द होना. चिड़चिड़ापन, टांगों में ऐंठन, बाल झड़ना, भूख कम हो जाना इत्यादि. यह कुछ साधारण लक्षण हैं, जिनके जरिए किसी भी गर्भवती महिला के बारे में पता लगाया जा सकता है कि वह एनीमिया से पीड़ित है या नहीं. इसके अलावा डॉक्टर से भी नियमित परामर्श लेते रहें.
बच्चे पर प्रभाव
पेट में मौजूद बच्चे के ऊपर एनीमिया का क्या प्रभाव पड़ेगा यह निमिया के स्तर पर निर्भर करता है. सामान्यतः आपका शरीर पहले यह निर्धारित करता है कि शिशु को भरपूर मात्रा में उसके हिस्से का आयरन मिले उसके बाद आपको मिले. अगर आयरन का स्तर बहुत ही कम या गंभीर स्तर तक ना पहुंच जाए तो बच्चे के ऊपर खास असर नहीं पड़ेगा. लेकिन ध्यान देने वाली बात है कि शिशु के तंत्रिका तंत्र के विकास और दिमाग के विकास होने के लिए आयरन की सख्त आवश्यकता होती है इसलिए किसी भी स्थिति में आयरन की कमी ना होने पाए.
क्या होता है इलाज?
इलाज के तौर पर गर्भवती महिलाओं को आयरन अनुपूरक लेने की सलाह दी जाती है. इसमें 0.5 ग्राम फोलिक एसिड और सौ ग्राम एलिमेंटल आयरन होता है. यह आदर्श मात्रा बताई जाती है. साधारण तौर पर भरपूर भोजन के साथ विटामिन सी (जैसे नींबू पानी का सेवन) लेना भी आयरन का स्तर बेहतर करने में मदद करता है. इस बारे में डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए.
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Tags: Health, Life style, Pregnancy
FIRST PUBLISHED : July 08, 2022, 23:02 IST
