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प्रदूषण की काल हैं ये 3 जड़ी-बूटी, फेफड़ों को रखती हैं हेल्दी, लंग्स कैंसर से भी करतीं बचाव, जानें कैसे करें सेवन

प्रदूषण की काल हैं ये 3 जड़ी-बूटी, फेफड़ों को रखती हैं हेल्दी, लंग्स कैंसर से भी करतीं बचाव, जानें कैसे करें सेवन


हाइलाइट्स

हवाओं में घुलता प्रदूषण का जहर फेफड़ों को नुकसान पहुंचा रहा है.
हवाओं में घुला टॉक्सिक स्मॉग से लंग्स कैंसर का खतरा बढ़ सकता है.
तुलसी, मुलेठी और त्रिफला स्मॉग से बचाव करने में बेहद असरदार हैं.

Ayurvedic herbs for lung: सर्दी शुरू होते ही टॉक्सिक स्मॉग का खतरा बढ़ने लगता है. इस बार भी बीते कई दिनों से देश की राजधानी दिल्ली समेत उत्तर भारत के अन्य शहरों में जहरीले स्मॉग की एक मोटी परत देखने को मिल रही है. पर्यावरण में बढ़ते प्रदूषण ने हमारी सेहत पर काफी नकारात्मक प्रभाव डाला है. इसकी वजह से लोगों को सांस की समस्याएं, गले में खराश, आंखों में परेशानी जैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं, इसका सबसे बड़ा खतरा फेफड़ों को है.

दरअसल, हवाओं में घुलता प्रदूषण का ये जहर फेफड़ों को सीधे तौर पर नुकसान पहुंचा रहा है, जिससे लंग्स कैंसर का खतरा बढ़ सकता है. इससे निजात पाने के लिए लोग कई तरह की दवाओं और उपायों को फॉलो करते हैं. लेकिन आपको बता दें कि, आयुर्वेद में भी कई ऐसी जड़ी-बूटी का जिक्र है जो फेफड़ों को हेल्दी रखने मददगार हो सकती हैं. अब सवाल है कि स्मॉग फेफड़ों को कैसे नुकसान पहुंचाता है? कौन सी जड़ी-बूटी प्रदूषण से बचाव करने में मदगार? कैसे करें इनका सेवन? इस सवालों के बारे में विस्तार से बता रहे हैं बलरामपुर चिकित्सालय लखनऊ के आयुर्वेदाचार्य डॉ. जितेंद्र शर्मा-

टॉक्सिक स्मॉग फेफड़ों के लिए कैसे नुकसानदायक

लंग्स यानी फेफड़े वातावरण से वायु को खींचकर उससे ऑक्सीजन को छानकर खून के कतरे-कतरे में पहुंचाते हैं. साथ ही शरीर से कार्बनडाइऑक्साइड को बाहर निकालते भी हैं. इसके अलावा फेफड़े बॉडी के पीएच को बैलेंस कर बाहरी आक्रमण से भी हमें बचाते हैं. वहीं, हवाओं में घुला प्रदूषण का जहर तेजी से लंग्स को नुकसान पहुंचाने का काम करता है. यही वजह है कि फेफड़ों का स्वस्थ रहना बेहद जरूरी है. इसके लिए आप तुलसी, त्रिफला और मुलेठी जैसी चीजों का सेवन कर सकते हैं.

प्रदूषण से फेफड़ों को बचाने वाली 3 चमत्कारी जड़ी-बूटी

त्रिफला: आयुर्वेद में त्रिफला को सबसे शक्तिशाली जड़ी-बूटी माना जाता है. त्रिफला विभीतकी, हरीतकी और आंवला को मिलाकर तैयार की जाती है. आयुर्वेद में इसका इस्तेमाल फेफड़ों की सफाई के लिए किया जाता है. दरअसल, त्रिफला एंटी बैक्टीरियल, एंटी इंफ्लेमेटरी गुण का अच्छा स्रोत मानी जाती है. इसके अलावा त्रिफला में पाए जाने वाले एंटी-ऑक्सिडेंट जैसे एलाजिक एसिड, टैनिन और फ्लेवोन भी फेफड़ों को अधिक मजबूती देकर उसमें जमा गंदगी को जड़ से साफ करने में असरदार साबित हो सकते हैं. फेफड़ों की सफाई के लिए एक लीटर पानी में करीब 100 एमजी त्रिफला को डालकर पानी आधा होने तक उबाल लेंगे. फिर पानी हल्का गुनगुना होने पर सुबह खाली पेट घूंट-घूंट कर इसका सेवन करें.

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तुलसी: आयुर्वेद में तुलसी फेफड़ों के लिए एक बेहतरीन औषधि मानी गई है. दरअसल, इसके पत्तों में यूजेनॉल नामक तत्व पाया जाता है, जो श्वसनप्रणाली के लिए फायदेमंद है. साथ ही, तुलसी में भी एंटी ऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, जो फेफड़ों को मजबूत कर उनको सक्रिय बनाते हैं. इसका सेवन करने के लिए तुलसी के पत्तों को सुखाकर उसमें कत्था, मेन्थॉल और इलायची को बराबर मात्रा में पीस लें. फिर इसमें एक चम्मच पिसी हुई चीनी मिला लें. इसके बाद दिन में दो बार आधा चम्मच इस मिश्रण के सेवन से फेफड़ों में जमे कफ और गंदगी को साफ किया जा सकता है.

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मुलेठी: इस सब के अलावा मुलेठी का सेवन भी फेफड़ों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है. आयुर्वेद के मुताबिक, मुलेठी अपने मीठे और ठंडे गुणों के कारण श्वसनप्रणाली के संक्रमणों से राहत दिलाने में असरदार है. इसका सेवन फेफड़ों और गले में जमा होने वाले गाढ़े बलगम को पिघलाकर फेफड़ों को स्वस्थ रखने में मददगार साबित हो सकता है. आप मुलेठी से हर्बल टी बनाकर इसका सेवन कर सकते हैं. वहीं, यदि सांस लेने में परेशानी, या सर्दी-खांसी दिक्कत करने लगे, तो मुलेठी की कुछ छड़ियों को पानी में उबाल लें. इसके बाद इस पानी को धीरे-धीरे घूंट-घूंट कर पिएं. आप चाहें तो इस पानी में एक चम्मच शहद भी मिला सकते हैं.

Tags: Air pollution, Health, Lifestyle, Smog



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