नई दिल्ली. कोरोना का कहर एक बार फिर शुरू हो गया. कोरोना के नए सब-वेरिएंट ने चीन में तहलका मचा रखा है. लाखों लोग संक्रमित हो चुके हैं. वहीं भारत में भी इस नए वेरिएंट की पुष्टि हो चुकी है. इसके चलते अब हर किसी का ध्यान कोरोना वैक्सीन की तरफ जाने लगा है. भारत में सुई वाली वैक्सीन के साथ-साथ आपातकाल स्थिति में नेजल वैक्सीन को भी मान्यता दी गई है. वहीं एक नए अध्ययन से पता चला है कि नाक में बनने वाले एंटीबॉडी कोविड-19 संक्रमण के नौ महीने बाद खत्म हो सकते हैं जबकि खून में बनने वाले एंटीबॉडी एक साल तक चल सकते हैं.
ये रिसर्च उन वैक्सीन की जरुरतों पर भी ध्यान खींच रही है, जो नैजल इम्युनिटी को बढ़ा सकती हैं. इम्युनोग्लोबुलिन ए (Immunoglobulin a) या आईजीए (IgA) नाक के एंटीबॉडी हैं जो कोरोना वारस के खिलाफ लड़ते हैं. ये सांस के जरिये शरीर में जा रहे वायरस को रोकने में मददगार साबित होते हैं. हालांकि ये एंटीबॉडी रक्त में उत्पन्न एंटीबॉडी की तुलना में बहुत कम समय के लिए होते हैं लेकिन ये वायरस को सिस्टम में प्रवेश करने से रोकने में बहुत प्रभावी होते हैं.
संक्रमित रह चुके लोगों में नेजल एंटीबॉडी
नए अध्ययन SARS-CoV-2-Specific nasal Iga wanes 9 months after hospitalization with covid-19 ईबॉयोमेडिसिन जर्नल में प्रकाशित हुई है. इस स्टडी से पता चला है कि जो लोग कोरोना से ठीक हुए हैं वे फिर से संक्रमित हो सकते हैं. खासतौर पर जो लोग ओमिक्रॉन व उसके सब-वेरिएंट के चपेट में आए थे. लंदन के इम्पीरियल कॉलेज के स्कॉलर्स ने पाया कि नेजल एंटीबॉडी केवल उन लोगों में मौजूद थे, जो हाल ही में वायरस से संक्रमित हुए थे.
संक्रमित लोगों पर की गई स्टडी
ये एंटीबॉडी विशेष रूप से ओमिक्रॉन वेरिएंट और इसके उप-वेरिएंट के खिलाफ ज्यादा दिन तक नहीं टिके थे. यानी कि इनका मुकाबला करने में नेजल एंटीबॉडी कमजोर थी. यूनिवर्सिटी ऑफ लिवरपूल की टीम द्वारा इस रिसर्च का नेतृत्व किया. करीब 450 लोगों पर यह अध्ययन किया गया, जिन्हें फरवरी 2020 और फरवरी 2021 के बीच कोरोना के चलचे अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
इंट्रामस्क्युलर टीके नेजल एंटडीबॉडी को खास नहीं बढ़ा पाते
अध्ययन में पाया गया कि इंट्रामस्क्युलर टीके गंभीर कोविड-19 बीमारी को रोकने में मुख्य रूप से प्रभावी थे क्योंकि वे ब्लड एंटीबॉडी के उत्पादन को बढ़ावा देते हैं. लेकिन नाक के एंटीबॉडी को बढ़ाने पर उनका कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं पाया गया. शोधकर्ताओं ने स्प्रे के रूप में नाक के टीकों के उत्पादन की आवश्यकता पर भी जोर दिया.
नेजल एंटबॉडी पर देना चाहिए जोर
COVID-19 वायरस को हमारे शरीर में प्रवेश करने से बचाने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि इसे स्टार्टिंग प्वाइंट पर ही ब्लॉक कर दिया जाए या इसे ऊपरी ब्रीथिंग के रास्ते तक सीमित कर दिया जाए, जहां यह सीमित नुकसान पहुंचा सकता है. बता दें कि नाक और मुंह किसी भी वायरस के अंदर जाने का मुख्य रास्ता है. इसलिए इस वायरस से बचाव के लिए नाक के एंटीबॉडी (IgA) हैं, जो वायरस को सिस्टम में प्रवेश करने से रोकने के लिए पर्याप्त मजबूत होने चाहिए.
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Tags: Coronavirus, Omicron
FIRST PUBLISHED : December 21, 2022, 19:32 IST
