स्वास्थ्य

कट गया हाथ का अंगूठा तो पैर की उंगली से बनाया, करने लगा पहले की तरह काम

कट गया हाथ का अंगूठा तो पैर की उंगली से बनाया, करने लगा पहले की तरह काम


हाइलाइट्स

गंगाराम अस्‍पताल ने पैर की उंगली काटकर हाथ का अंगूठा बनाने का करिश्‍मा किया है.
किसी दुर्घटना हाथ का अंगूठा गंवा चुके मरीज का उंगली से बना नया अंगूठा काम कर रहा है.

नई दिल्‍ली. हाथ का अंगूठा कटकर अलग हो जाए तो उसे जोड़ने के बारे में तो सोचा जा सकता है लेकिन अगर अंगूठा कटकर कहीं गिर जाए तो उस जगह पर नया अंगूठा बनाकर लगाना किसी चुनौती से कम नहीं है लेकिन दिल्‍ली के सर गंगाराम अस्‍पताल के डॉक्‍टरों ने ऐसी ही चुनौती को पूरा कर करिश्‍मा कर दिया है. गंगाराम के डिपार्टमेंट ऑफ़ प्लास्टिक एंड कॉस्मेटिक सर्जरी के डॉक्‍टरों ने न केवल उस व्‍यक्ति के हाथ की जड़ से कटी हुई तीन उंगलियां फिर से जोड़ दी हैं बल्कि पैर की एक उंगली काटकर उसे हाथ के अंगूठे की जगह पर भी जोड़ दिया है. दिलचस्‍प है कि दोबारा जोड़ा गया यह अंगूठा पूरी तरह काम भी कर रहा है.

गंगाराम अस्‍पताल में हाल ही में उत्तराखंड से एक 44 वर्षीय पुरुष को इलाज के लिए इमरजेंसी में लाया गया. उसके बाएं हाथ की तीन अंगुलिया और एक अंगूठा जड़ से कट कर अलग हो चुके थे. यह हादसा उत्तराखंड में एक फैक्ट्री में काम करते हुए हुआ था. उत्तराखंड से मरीज को अस्पताल आते हुए आठ घंटे लगे और वह बुरी तरह से लहू लुहान था. मरीज अपने साथ 3 कटी और कुचली हुई उंगलियां तो एक पॉलीथिन बैग में ले आया लेकिन अंगूठा गायब था.

गंगाराम के डिपार्टमेंट ऑफ़ प्लास्टिक एंड कॉस्मेटिक सर्जरी, चेयरमैन, डॉ. महेश मंगल ने बताया कि हमारे लिए चुनौती न केवल तीन कुचली हुई उंगलियों को वापस हाथ से जोड़ना था, बल्कि सबसे बड़ी चुनौती नहीं लाये हुए अंगूठे को फिर से बनाना था. इसके लिए हमने रोगी के दाहिने पैर की दूसरी अंगुली को अंगूठे में परिवर्तित करने का फैसला किया ताकि उसका हाथ पूरी तरह काम करने लायक बन सके. यह काम बहुत ही कठिन एवं चुनौतीपूर्ण था.

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डॉक्‍टरों की टीम ने ऐसे बनाया अंगूठा
इसके लिए डॉ. महेश मंगल के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया गया, जिसमें प्लास्टिक एंड रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी डिपार्टमेंट से डॉ. एस एस गंभीर, डॉ. निखिल झुनझुनवाला, डॉ. पूजा गुप्ता और हड्डी रोग विभाग से डॉ. मनीष धवन शामिल किए गए. उसके बाद रोगी को तुरंत ऑपरेशन थिएटर में ले जाया गया और 10 घंटे की लंबी माइक्रोसर्जरी की गई. नसों, धमनियों और कुचली हुई हड्डियों और टेडन को माइक्रोस्कोप के द्वारा महीन सर्जरी करके तीनों अंगुलियों को फिर से जोड़ दिया गया. चूंकि अंगूठा मरीज साथ नहीं लाया था, तो हमने एक दूसरे ऑपरेशन के द्वारा मरीज के दाहिने पैर की दूसरी उंगली को काट कर उसके बाएं हाथ के अंगूठे वाली जगह पर ले जाकर जोड़ने का फैसला किया. यह ऑपरेशन काफी जटिल और लम्बा था इसमें करीब आठ घंटे का समय लगा.

अस्‍पताल में दोबारा लगाए जा चुके हैं 500 अंग
डॉ. मंगल ने बताया कि गंगाराम अस्‍पताल में माइक्रोसर्जरी की शुरुआत 1981 में डिपार्टमेंट ऑफ़ प्लास्टिक सर्जरी में हुई थी. तब से यह विभाग औद्योगिक, कृषि, घरेलू, सड़क यातायात दुर्घटनाओं आदि के कारण कटे हुए शरीर के अंगों को फिर से लगाने में उत्कृष्टता का केंद्र बन गया है. अब तक हाथ की अंगुलियों, पैर की उंगलियों, लिंग, खोपड़ी, कान, ऊपरी अंग, आदि जैसे शरीर के विभिन्न कटे हुए अंगों के 500 पुनर्प्रत्यारोपण हो चुके है.

10 साल के बच्‍चे की हुई सुपर माइक्रोसर्जरी 
उन्‍होंने बताया कि ये मरीज ही नहीं बल्कि ऐसे ही दो और भी मरीज इसी हफ्ते में अस्‍पताल में आए थे. उनमें एक रोगी 10 साल का लड़का था जो राजस्थान के एक गांव से आया था. उसके पास एक कटी हुई उंगली थी. उसे लकड़ी काटने की मशीन से खेलने के दौरान चोट लगी थी. चूंकि विच्छेदन का स्तर बहुत दूर था और रोगी एक बच्चा था, इसलिए रक्त वाहिकाओं को जोड़ने की जरूरत थी. छोटी उम्र की वजह से यह नसें बहुत ही महीन थीं. ऐसे में उसकी उंगली को फिर से जोड़ने के लिए सुपर माइक्रोसर्जरी की गई. यह ऑपरेशन सफलतापूर्वक सात घंटे में किया गया.

नोएडा के युवक की भी जोड़ी उंगली 

वहीं दूसरा रोगी नोएडा से 20 वर्षीय पुरुष था जिसकी दाहिनी उंगली कट गई थी. सफाई करते समय वॉश बेसिन के दुर्घटनावश गिर जाने से घर में घायल हो गया और आधी रात को इमरजेंसी में लाया गया. 6 घंटे की माइक्रोसर्जरी के बाद उसकी कटी हुई उंगली वापस जोड़ी जा सकी.

Tags: Gangaram Hospital, Health News



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