नई दिल्ली. डॉक्टरों के साथ बदतमीजी या हिंसा (Misbehavior or Violence with Doctors) करने वाले मरीजों को लेकर नेशनल मेडिकल कमीशन (National Medical Commission) ने नया गाइडलाइन जारी किया है. इस गाइडलाइन में एनएमसी (NMC) ने कहा है कि अगर मरीज या उनके परिजन (Patients or their Relatives) डॉक्टर के साथ मारपीट या बदतमीजी करते हैं तो डॉक्टर इलाज करने से मना (Refuse Treatment) कर सकते हैं. दिल्ली एम्स, गंगाराम, सफदरजंग और एलएजेपी जैसे अस्पतालों के डॉक्टरों के साथ-साथ सभी प्राइवेट क्लीनिक और निजी अस्पतालों पर यह नियम लागू होगा. इससे डॉक्टरों को एक तरह से बदतमीज और हिंसा करने वाले मरीजों के खिलाफ ब्राह्मास्त्र मिल गया है. अब अगर डॉक्टर की क्लीनिक या अस्पताल में मरीज की इलाज के बिना मौत हो जाती है तो वह आपराधिक श्रेणी में नहीं आएगा.
दिल्ली-एनसीआर सहित देश के कई हिस्सों में आए दिन डॉक्टरों और मरीजों के परिजनों के बीच मारपीट की खबरें आती रहती हैं. एनएमसी के नए नोटिफिकेशन के बाद डॉक्टरों को एक तरह से सुरक्षा कवच मिल गया है. इस नोटफिकेशन में साफ लिखा गया है कि जो भी मरीज या उसके रिश्तेदार डॉक्टर के साथ बदतमीजी, मारपीट या गाली गलौज करते हैं, डॉक्टर उसके खिलाफ खुद भी एक्शन ले सकते हैं. उस डॉक्टर के पास अधिकार होगा कि वह मरीज को इलाज से मना कर दे.

दिल्ली-एनसीआर सहित देश के कई हिस्सों में आए दिन डॉक्टरों और मरीजों के परिजनों के बीच मारपीट की खबरें आती रहती हैं.
डॉक्टरों के साथ पंगा लेना पड़ेगा अब महंगा
देश में पहली बार डॉक्टरों को मरीजों का इलाज से मना करने का अधिकार मिला है. यह नियम मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के मेडिकल एथिक्स कोड 2002 की जगह आया है. इस नोटिफिकेशन में कहा गया है कि अब डॉक्टर अपनी मर्जी के भी मरीज चुन सकते हैं. डॉक्टर अब खुद ही किसी को इलाज करने या न करने का फैसला ले सकता है. हालांकि, इमरजेंसी जैसे हालात में डॉक्टर मरीज को देखने से मना नहीं कर सकते हैं.
डॉक्टरों को मिल गया है यह अधिकार
हाल के दिनों में दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल और केरल में एक महिला डॉक्टर की हत्या के बाद एनएमसी ने यह नया नोटिफिकेशन जारी किया है. एनएमसी ने अब डॉक्टरों को हंगामा करने, गाली-गलौज करने के साथ किसी भी तरह के बदतमीजी और हिंसा करने के खिलाफ सख्त एक्शन यहां तक की नहीं देखना का भी अधिकार दे दिया है.

यह नियम मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के मेडिकल एथिक्स कोड 2002 की जगह आया है.
डॉक्टरों ने क्या कहा
दिल्ली-एनसीआर के वैशाली में निजी प्रैक्टिस करने वाले डॉ अभिषेक कुमार कहते हैं,’इसमें कोई शक नहीं कि कुछ मरीज और उनके परिजन डॉक्टर और नर्सिंग स्टॉफ के साथ अभद्र तरीके से पेश आते हैं. हाल के दिनों में कई घटनाओं से यह साफ भी हो गया है. चाकू से हमला करना, लाठी औऱ डंडों से मारना. कहां तक सही है. डॉक्टरों का काम ही है मरीजों को देखना और उनको उचित उपचार देना. निश्चित तौर पर डॉक्टरों को एनएमसी का यह निर्णय से राहत मिलेगी. आए दिन कोर्ट कचहरी और मुकदमेबाजी से भी निजात मिलेगी. हालांकि, कुछ डॉक्टर चाहें सरकारी असप्ताल के हों या प्राइवेट प्रैक्टिस करते हैं, वह मरीजों से पैसा ऐंठने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाते हैं. वैसे डॉक्टरों का अगर विरोध होता है तो वह सही है, लेकिन मारपीट या चाकू मारकर नहीं कर सकते हैं. वैसे डॉक्टरों पर कार्रवाई करने के लिए मरीज या परिजन कानून का दरवाजा खटखटा सकते हैं. इसमें किसी को भी परेशानी नहीं होनी चाहिए.’
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कुलमिलाकर अब वैसे मरीज और परिजनों के लिए एनएमसी ने अलर्ट कर दिया है, जो डॉक्टरों पर अकारण हमला करते हैं और उनके साथ बदतमीजी करते हैं. वैसे मरीज और परिजनों को अब थाने या कोर्ट-कचहरी से भी राहत नहीं मिलेगी.
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Tags: Aiims doctor, Doctors, NMC, Private Hospitals
FIRST PUBLISHED : August 11, 2023, 17:23 IST
