स्वास्थ्य

अब खर्राटों का हो सकेगा इलाज, इस मशीन से पता चलेगी सही वजह

अब खर्राटों का हो सकेगा इलाज, इस मशीन से पता चलेगी सही वजह


हिना आजमी/देहरादून. आपको अगर खर्राटे आते हैं या परिवार के किसी सदस्य के खर्राटों से आप परेशान हैं, तो आपके लिए यह समझना जरूरी है कि शरीर में किसी बीमारी के चलते ऐसा हो सकता है. खर्राटे की वजह का पता लगाने के लिए अब दून अस्पताल में खर्राटे वाली मशीन आएगी, जिससे मरीज को ठीक इलाज मिल सकेगा.

हर परिवार में कोई न कोई ऐसा शख्स जरूर होता है, जो खर्राटे लेता है. खर्राटे लेने वाले इंसान के पास अगर कोई अन्य इंसान सो जाए तो वह परेशान हो सकता है. लोग इस परेशानी को सामान्य बात मानकर गंभीरता से नहीं लेते, लेकिन ऐसा करना गलत है. अगर किसी को इस तरह की दिक्कत है तो डॉक्टर की सलाह जरूरी है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस तरह की दिक्कत बच्चों को भी हो सकती है. बच्चों या वयस्क में इस तरह की दिक्कत को हल्के में नहीं लेना चाहिए.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट
दून अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक प्रो. अनुराग अग्रवाल ने जानकारी देते हुए कहा है कि कई बार खर्राटे आना सामान्य होता है. हम लोग मानते हैं कि खर्राटे लेना वाला इंसान अच्छी नींद ले रहा है, लेकिन ऐसा नहीं होता. कई बीमारियों के चलते भी खर्राटे आते हैं. उनका कहना है कि खर्राटे लेने का मतलब कई बार ऐसा होता है कि उस इंसान की नींद बार-बार टूटती है और 6 घंटे में नींद बार-बार टूटने का क्रम कई बार होता है. इससे उस व्यक्ति का बीपी, शुगर और दिल की धड़कन बढ़ जाती है. ये परेशानियां उसके शरीर के लिए खतरनाक हो सकती हैं.

अस्पताल में आई स्लीप लैब
इसके अलावा जब रात को व्यक्ति की बार-बार नींद टूटने से पूरी नहीं हो पाती तो वह इंसान दिन में सोता है, गाड़ी चलाने के दौरान भी उसको झपकी लग जाती है और कई बार ऐसे मामलों में व्यक्ति सड़क दुर्घटना का शिकार हो जाता है. उन्होंने बताया कि दून अस्पताल में एक्सपेरिमेंट के तौर पर एक मशीन लाई गई है. इसे स्लीप लैब कहा जाता है. उन्होंने बताया कि जल्द ही अस्पताल में बड़ी मशीन आ जाएगी जिसके बाद ओवरनाइट जांच मरीज की हो सकेगी और खर्राटों की वजह जानने के बाद उसका सही इलाज हो पाएगा.

क्यों आते हैं खर्राटे
प्रो. अग्रवाल ने बताया कि खर्राटे आना कई बार सामान्य प्रक्रिया मानी जाती है. इसे ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया (ओएसस) कहा जाता है. यह समस्या तब होती है, जब सोते वक्त हवा के ऊपरी मार्ग में या तो पूरी तरह से बाधा आती है या फिर आंशिक तौर पर आ जाती है. इस तरह की दिक्कत होने पर खर्राटे आना शुरू हो जाते हैं. हालांकि इस तरह की दिक्कत सामान्य तौर पर बड़ों को होती है, लेकिन कई बार इस तरह की दिक्कत बच्चों को भी हो सकती है. इसलिए आप इसे हल्के में न लें.

Tags: Dehradun news, Health News, Latest hindi news, Local18, Uttarakhand news



Source

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Most Popular

To Top