उन्होंने अपने करियर में 37 फिल्में बनाई और उन्हें इसके लिए 32 अलग-अलग अवार्ड मिले। सत्यजीत रे को पद्मश्री से लेकर भारत रत्न और ऑस्कर अवॉर्ड तक सम्मानित किया गया है। 30 मार्च 1992 को ‘ऑनररी लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड’ से सम्मानित किया गया था। ऐसा भी कहा जाता है कि तब सत्यजीत रे काफी बीमार थे, इसलिए ऑस्कर से जुड़े पदाधिकारी कोलकाता उन्हें अवॉर्ड देने आए थे।

आपको बता दें कि सत्यजीत रे सिर्फ फिल्म का निर्माण करने के लिए नहीं जाने जाते थे बल्कि उनके अंदर कई सारी क्वालिटीज भी थी। वे डायरेक्टर के साथ राइटर, पेंटर, गीतकार, कॉस्ट्यूम डिजाइनर और प्रोड्यूसर भी थी। आपको बता दें कि फिल्मों के प्रति उनका अट्रैक्शन उनकी इंग्लैड जर्नी के दौरान बढ़ा। बता दें कि करीब 50 के दशक के दौरान वे पत्नी के साथ इंग्लैंड गए थे। ये वो दौर था जब वे एक विदेशी कंपनी के विज्ञापन के लिए काम किया करते थे। और इसी काम को और बेहतर तरीके से समझने के लिए कंपनी ने उन्हें इंग्लैंड भेजा था। आपको जानकर हैरानी होगी कि लंदन में रहने के दौरान उन्होंने करीब 100 फिल्में देखी और यहीं से उन्हें भी फिल्में बनाने का आइडिया आया। फिर भारत लौटकर उन्होंने फिल्मों पर काम करना शुरू किया। उन्होंने पहली फिल्म पाथेर पांचाली बनाई। इस फिल्म को कांस फिल्म फेस्टिवल में खूब तारीफ मिली थी।
सत्यजीत रे ने जीते कई अवॉर्ड्स
आपको बता दें कि 37 फिल्में बनाने वाले सत्यजीत रे ने 35 अवॉर्ड्स जीते थे। उनकी पहली फिल्म पाथेर पांचाली को कई अवॉर्ड्स मिले थे। इसके अलावा उन्होंने अपाजितो, अपुर संसार, चारुलता, नायक, देवी, द म्यूजिक रूम, महानगर, शतरंज के खिलाड़ी, घरे बाइरे, सोनार केल्ला, तीन कन्या, कांचनजंघा जैसी फिल्मों का निर्माण किया। आपको जानकर हैरानी होगी कि सत्यजीत रे के इंडियन सिनेमा में योगदान और बेहतरीन फिल्में देने के लिए भारत सरकार ने उन्हें करीब 32 राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था। इतना ही नहीं फिल्मों में उनके योगदान के लिए उन्हें स्पेशल ऑस्कर सम्मान दिया गया था। आपको बता दें कि जिस वक्त उन्हें ऑस्कर देने की घोषणा हुई थी, उस दौरान ने बीमार चल रहे थे ये अवॉर्ड लेने के लिए विदेश जाने की स्थिति में नहीं थे इसलिए ऑस्कर कमेटी के अध्यक्ष खुद उन्हें ये अवॉर्ड देने इंडिया आए थे।
5 फिल्में जो थी खास
1. अपू ट्रॉयोलॉजी– इस फिल्म को तीन भाग में बनाया गया है। पहला भाग पत्थर पंचली दूसरा भाग अपराजितो और तीसरा भाग द वर्ल्ड ऑफ अपू था। तीनों ही भाग को दर्शकों ने भरपूर प्यार दिया था। इस फिल्म के बारे में कहा जाता है कि इससे भारतीय सिनेमा को इंटरनेशनल पहचान भी मिली थी।
2. महानगर– इस फिल्म में सत्यजीत रे ने यह दिखाने की कोशिश की थी कि बड़े शहरों में लोगों के लिए जिंदगी बिताना कितना कठिन होता है। उन्होंने इस फिल्म में दिखाया था कि कैसे महिलाएं ऑफिस के साथ-साथ घर के काम भी करती हैं। इससे उन्हें महानगर की जिंदगी को दिखाने की कोशिश की थी।
3. चारुलता– इस फिल्म में महिलाओं की जिंदगी को दिखाया गया था कि कैसे महिलाएं भी अकेलापन महसूस करती हैं. फिल्म का प्लॉट का कुछ ऐसा था कि एक महिला को अपने मेंटर से अपने प्यार होता है और मेंटर उनके पति का भाई होता है।
4. आगंतुक– यह सत्यजीत रे की आखिरी फिल्म थी. यह बेहद खूबसूरत फिल्म थी जिसके एक-एक सीन और डायलोग की तारीफ हुई थी। फिल्म में उत्पल दत्त मुख्य किरदार में थे। 5. शतरंज के खिलाड़ी– सत्यजीत रे ने अपने करियर में एक ही हिंदी फिल्म बनाई थी और ये ‘शतरंज के खिलाड़ी’ फिल्म थी। फिल्म की कहानी अवध के आखिरी सम्राट वाजिद अली शाह पर केंद्रित थी लेकिन इस फिल्म की खास बात यह है कि गंभीर विषय पर भी सत्यजीत रे ने इस फिल्म को हल्के फुल्के अंदाज में बनाया था।
जानिए कौन हैं सुपरकॉप राकेश मारिया, जिनकी ज़िंदगी पर फ़िल्म बना रहे हैं डायरेक्टर रोहित शेट्टी
