दरअसल, आज लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान भारतीय जनता पार्टी के सांसद निशिकांत दुबे ने एयरबैग का मुद्दा उठाया। उन्होनें कहा कि, “हर साल, सड़क दुर्घटनाओं में 1.50 लाख से अधिक लोग मारे जाते हैं। सरकार ने फैसला किया है कि अब कार में 6 एयरबैग होना अनिवार्य करने वाला नियम जल्द लाया जाएगा।
फिलहाल मसौदा अधिसूचना डेटा इस साल अक्टूबर के लिए प्रेषित किया गया है, लेकिन इसे जारी नहीं किया गया है। उन्होनें पूछा कि, आखिर ये अधिसूचना कब जारी की जाएगी, ताकि वाहन निर्माता कंपनियां इस फीचर को अपने वाहनों में पेश कर सकें, और लोगों की जीवन की रक्षा हो सके।”
नितिन गडकरी ने क्या कहा:
इस प्रश्न के जवाब में नितिन गडकरी ने कहा कि, “कारों में एयरबैग जरूर लगाए जाने चाहिए। हालांकि, पिछली सीट पर बैठने वाले यात्रियों के लिए ऐसा कोई नियम नहीं है। लेकिन सरकार ने अब फैसला किया है कि वह सभी यात्रियों के लिए एयरबैग लगाना अनिवार्य किया जाएगा।” उन्होनें कहा कि, “एक सिंगल एयरबैग की कीमत सिर्फ 800 रुपये है। सरकार प्रस्ताव पर विचार कर रही है।” हालांकि उन्होनें इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी है कि, इसकी सूचना कब तक दी जाएगी।
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याद दिला दें कि, इससे पूर्व पिछले महीने 20 जुलाई को नितिन गडकरी ने राज्यसभा में एक जवाब में कहा था कि, “जिनेवा के वर्ल्ड रोड स्टैटिस्टिक्स (डब्ल्यूआरएस) के अनुसार, भारत में 2020 में 1.5 लाख सड़क दुर्घटनाएं दर्ज की गईं, जो 207 देशों में दर्ज कुल सड़क दुर्घटनाओं का 26.37 प्रतिशत है।” ऐसे में देश में बेहतर सेफ़्टी फीचर्स वाली कारों की जरूरत है ताकि हादसों के वक्त मौत के आंकड़ों पर अंकुश लगाया जा सके।
मारुति सुजुकी को सरकार के फैसले पर एतराज़:
इससे पहले भी गडकरी कारों की सेफ़्टी के लिए कई बार अपना पक्ष रख चुके हैं। बता दें कि, 6 एयरबैग को अनिवार्य करने के मामले में मारुति सुजुकी ने आपत्ती जताई थी और कहा था कि, इससे Alto जैसी एंट्री लेवल कारों की कीमत में इजाफा होगा, जिससे बिक्री प्रभावित होगी। इसलिए सरकार को इस फैसले पर पुन: विचार करना चाहि। वहीं नितिन गडकरी का मानना है कि 6 एयरबैग का विरोध करना दोहरी मानसिकता को दर्शाता है। ये कंपनियां अपने एक्सपोर्ट किए जाने वाले वाहनों में तो सेफ्टी फीचर्स को बेहतर रखती हैं और ज्यादा से ज्यादा एयरबैग देती हैं, लेकिन भारत में बेचे जाने वाले वाहनों में ये फीचर्स नदारद होते हैं।
