कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कहा कि बीमा कंपनी “जब तक फिटनेस प्रमाण पत्र लागू नहीं होता और ऐसा प्रतीत होता है कि पॉलिसी जारी होने के बाद फिटनेस प्रमाण पत्र समाप्त हो गया है, तब तक बीमा कंपनी ने पॉलिसी जारी नहीं की होगी।” इसके अलावा जहां तक परमिट की बात है तो अदालत ने बताया कि, जब परमिट समाप्त होने वाला होता है और नए के लिए आवेदन किया जाता है, तो अस्थायी परमिट अंतराल अवधि के लिए जारी किया जाता है, और इसका नवीनीकरण से कोई लेना-देना नहीं है।”
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कोर्ट ने कहा कि “यह माना जाना चाहिए कि जिस दिन दुर्घटना हुई, उस दिन परमिट लागू था,” यह कहते हुए कि “बीमा कंपनी अपीलकर्ता की देयता की क्षतिपूर्ति करने की अपनी जिम्मेदारी से इनकार नहीं कर सकती।”
क्या था पूरा मामला:
रिपोर्ट के अनुसार सैयद वली 28 सितंबर, 2015 को एक अन्य व्यक्ति मोहम्मद शाली के साथ मोटरसाइकिल से जा रहे थें, इसी दौरान सड़क पर एक स्कूल बस के साथ वो दुर्घटना के शिकार हो गएं। इस हादसे में सैयद वली की दुखद मृत्यु हो गई। जिसके बाद उनकी पत्नी बानो बेगम और बच्चों मालन बेगम और मौला हुसैन ने मुआवजे के लिए दावा दायर किया था। वहीं इस मामले में बीमा कंपनी ने दावा किया कि स्कूल बस के पास फिटनेस प्रमाणपत्र नहीं था और बीमा पॉलिसी लागू होने के बावजूद उसका परमिट लागू नहीं था।
