नीलम की अंगूठी: इस रत्न को बेहद प्रभावशाली माना जाता है। इसे धारण करने से शनि ग्रह मजबूत होता है। इसका प्रभाव सबसे अधिक तेजी से होता है। अगर ये आपको सूट कर जाए तो आपकी किस्मत बदल सकता है वहीं अगर सूट न करें तो ये सड़क पर भी ला सकता है। नीलम को शनि की दशा में ही पहनना चाहिए। इस रत्न की अंगूठी बनवाने से पहले इसे कुछ दिन अपने सिरहाने रखकर सोएं या कपड़े में लपेटकर हर समय अपने पास रखें। अगर सब सामान्य रहे तब इसकी अंगूठी बनवाएं। यदि कुछ भी नकारात्मक घटे तो इसकी अंगूठी न पहनें।
कछुए वाली अंगूठी: आजकल काफी लोग इस अंगूठी को धारण करते हैं। कछुए का संबंध माता लक्ष्मी से माना जाता है। कछुए की अंगूठी को पहनने से धन-संपदा की प्राप्ति होती है। लेकिन ज्योतिष अनुसार इस अंगूठी को कर्क, वृश्चिक या मीन राशि वाले धारण करने से बचें। क्योंकि इस अंगूठी के प्रभाव से इन राशियों के लोगों की सेहत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
हीरे की अंगूठी: हीरा रत्न शुक्र ग्रह से संबंधित माना जाता है। अधिकतर लोग हीरे को बिना किसी जानकारी के ऐसे ही धारण कर लेते हैं। खासकर शादी के समय हीरे की अंगूठी पहनने का प्रचलन काफी ज्यादा बढ़ गया है। लेकिन ज्योतिष की मानें तो नवविवाहित जोड़े को शादी के समय और शादी के एक साल बाद तक हीरा नहीं पहनना चाहिए। इसके पीछे मान्यता है कि हीरा संतान प्राप्ति में दिक्कत पैदा कर सकता है। लेकिन अगर आप इस रत्न को धारण करना चाहते हैं तो रत्न ज्योतिष विशेषज्ञ की सलाह जरूर ले लें।
मोती रत्न: अगर आप इस रत्न को धारण कर रहे हैं तो साथ में लहसुनिया और गोमेद धारण ना करें। अगर आपने गोमेद और लहसुनिया पहन रखा है तब मोती न पहनें। ऐसा इसलिए क्योंकि लहसुनिया केतु का रत्न है वहीं गोमेद राहु का रत्न है। जबकि मोती चंद्रमा का रत्न माना जाता है। ज्योतिष अनुसार चंद्रमा के साथ जब भी राहु और केतु होते हैं तो ग्रहण दोष बनता है।
नवग्रह अंगूठी: ये अंगूठी तांबा, पीतल, कांसा, चांदी, सोना, रांगा, लोहा इत्यादि को मिलाकर बनाई जाती है। इस अंगूठी को अगर धारण किया हुआ है तो मांस-मंदिरा का सेवन बिल्कुल भी न करें। ऐसा करने पर इस अंगूठी का आप पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
अंक ज्योतिष: दान पुण्य के कार्यों में आगे रहते हैं इस मूलांक के लोग, समाज में खूब होता है इनका नाम
