सुख और समृद्धि में होती है वृद्धि
Published: April 19, 2022 01:41:04 pm
ज्योतिष में बुद्धि के कारक व बुध ग्रह के कारक देव श्री गणेशजी, जो सप्ताह में बुधवार के भी कारक देवता माने गए हैं। उनके रूप व पूजा को सदैव ही विशेष महत्व दिया जाता है। आदि पंच देवों में से एक होने के साथ ही ये प्रथम पूज्य देव भी माने जाते हैं।

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वहीं ज्योतिष व धर्म से इतर वास्तु शास्त्र में भी श्री गणेश की प्रतिमाओं का विशेष स्थान है। वास्तु की जानकार रचना मिश्रा के अनुसार वास्तु शास्त्र मुख्य रूप से केवल सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा की ही बात करता है।
इसके पीछे कारण ये है कि माना जाता है कि सकारात्मक यानि पॉजीटिव ऊर्जा जहां व्यक्ति को उसकी तरक्की या आगे बढ़ने या अच्छे उद्देश्य की पूर्ति करने वाली मानी जाती है तो वहीं नकारात्मक या निगेटिव ऊर्जा व्यक्ति के जीवन में बुरा प्रभाव देती है या इसे ऋणात्मकता में इजाफा भी कहा जा सकता है। नकारात्मक ऊर्जा व्यक्ति को परेशान करने से लेकर तमाम तरह की समस्याओं में फंसाती है, जबकि पॉजीटिव इनर्जी समस्याओं को सुलझाने व आगे बढ़ने में सहायक होती है।
मिश्रा के अनुसार वास्तु शास्त्र के भीतर घर में खुशहाली लाने के साथ ही रोग काटने, खुशी, सुख-शांति पाने से संबंधित कई उपाय भी हैं। लोग समय-समय पर इनका इस्तेमाल करके नकारात्मकता को हटाकर सकारात्मकता का फैलाव करते हुए घर की सुख और समृद्धि वृद्धि करते हैं। उनके अनुसार वास्तु शास्त्र में ऐसे कई उपाय हैं, जिनकी मदद से आप भी स्वयं को मजबूत कर आगे बढ़ सकते हैं, ऐसे ही एक उपाय के संबंध में मिश्रा बताती हैं कि ये बेहद विशेष है, जो श्री गणेशजी से संबंधित है।
मिश्रा के अनुसार कुल ऐसी पांच गणेश जी की प्रतिमाएं हैं जिनके संबंध में माना जाता है कि इन्हें घर में रखने से धन और समृद्धि में बढ़ौतरी होती है।
देवी माता पार्वती के पुत्र गणेश जी का वैसे तो हर रुप ही शुभ और मंगलकारी माना गया हैं, लेकिन इनमें भी 5 प्रकार की गणेश कि मूर्तियों का घर में होना अत्यंत लाभकारी माना गया है।
: दरअसल आम, पीपल और नीम से बनी गणेश जी की मूर्ति अत्यंत विशेष मानी जाती है। ऐसे में इन्हे अपने घर में लाकर घर के मुख्य दरवाजे पर अवश्य लगाना चाहिए। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा आने के साथ ही इसे धन और सुख में वृद्धि का कारक भी माना जाता है।
: इसके अलावा गाय के गोबर से बनी श्री गणेशजी की मूर्ति को भी अत्यंत विशेष माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार गणेश जी की ऐसी मूर्ति धन में वृद्धि की कारक मानी गई है।
: अतिरिक्त लाभ के लिए रविवार या पुष्य नक्षत्र में श्वेतार्क गणेश की मूर्ति को घर लाकर इसकी निेयमित पूजा करनी चाहिए। माना जाता है कि इससे आपके सभी रुके हुए काम बनने के साथ ही यह धन सम्पदा के लिए शुभ मानी गई है। वहीं इससे जल्द ही धन लाभ होने के संकेत भी मिलते हैं।
: इसके अतिरिक्त गणेश जी की क्रिस्टल से बनी मूर्तिे को वास्तुदोष दूर करने के लिए अत्यंत कारगर माना गया है। वैसे तो इस मूर्ति की कीमत काफी अधिक होती है लेकिन ऐसे में यदि आप क्रिस्टल से निर्मित कोई अत्यंत छोटी सी मूर्ति भी ले लें, तब भी यह आपके लिए अत्यंत खास साबित होगी।
इसके अलावा गणेश जी की क्रिस्टल की मूर्ति के साथ देवी लक्ष्मी जी की भी इसी धातु की मूर्ति भी रखी जा सकती है। माना जाता है कि धन की देवी लक्ष्मी जी के घर में आने से धन और सौभाग्य दोनों ही चले आते हैं।
: वहीं मूर्ति खरीदने में किन्हीं कारणों से असमर्थ लोग स्वयं भी गणेश जी की एक मूर्ति बना सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे कि इसके लिए आप केवल शुद्ध पदार्थों का ही इस्तेमाल करें।
यहां ध्यान रखें कि यदि आप खुद मूर्ति बना रहे हैं तो ऐसे में हल्दी का उपयोग कर गणेश जी की मूर्ति बनाएं। मूर्ति बना जाने के पश्चात पूजा स्थान पर इसे विराजमान कर दें और अब नियमित इसकी पूजा भी करें। यहां ये जान लें कि गणेश जी की मूर्ति अत्यंत शुभ और सुखदायक मानी जाती हैं।
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