Shani ki Dhaiya and Sade Sati Dasha : अप्रैल के महीने में शनि का राशि परिवर्तन, इन राशियों की बढ़ सकती हैं मुश्किलें
Updated: April 16, 2022 11:53:26 am
Shani Dev 2022 Transit: ज्योतिष के नव ग्रहों में से एक व न्याय के देवता शनि देव एक बार फिर राशि में परिवर्तन करने जा रहे हैं। सभी नौ ग्रहों में शनि की चाल सबसे धीमी होने के बावजूद ज्योतिष के अनुसार शनि राशि परिवर्तन के पहले से ही अपना असर दिखाना शुरु कर देते हैं। साथ ही राशि परिवर्तन के बावजूद कुछ समय तक अपनी पूरानी राशि पर भी अपना प्रभाव दिखाते रहते हैं।

Shani 29 April 2022 Effects / Shani 29 April 2022 Impact
शनि की धीमी गति का अनुमान इसी बात से ल्रगाया जा सकता है कि यह एक राशि से दूसरी राशि में करीब ढाई से तीन साल तक का समय लगा देते हैं। ऐसे में अभी मकर राशि में मौजूद शनि इसी माह यानि अप्रैल 2022 की 29 तारीख यानि शुक्रवार को अपने ही स्वामित्व वाली दूसरी राशि कुंभ में प्रवेश करने जा रहे हैं। ऐसे में शनि देव करीब 30 साल बाद अपनी दूसरी राशि कुंभ में प्रवेश करने जा रहे हैं। शनि का यह परिवर्तन जहां दो राशि वालों के लिए परेशानी का कारण बनता दिख रहा है तो वहीं यह परिवर्तन 4 राशि के जातकों को सुख की अनुभूति देगा।
29 अप्रैल को होने वाला शनि का यह गोचर से सबसे अधिक कष्ट कुंभ राशि वालों को देता दिख रहा है, इस परिवर्तन के साथ ही कुंभ राशि में साढ़साती का दूसरा चरण प्रारंभ हो जाएगा। जो अत्यधिक कष्टकारी माना गया है।
जल्द शुरू होगी इन पर शनि की ढैय्या (shani ki dhaiya)
इसके अलावा शुक्रवार, 29 अप्रैल को कुंभ राशि में शनि के गोचर के साथ ही शनि की ढैय्या कर्क और वृश्चिक राशि के जातकों पर प्रारंभ हो जाएगी। वहीं शनि के इस परिवर्तन से मिथुन और तुला राशि के जातक ढैय्या के प्रभाव से मुक्त हो जाएंगे।
इसके अलावा इस गोचर के फलस्वरूप कुंभ से शनि की साढ़े साती (shani ki sade sati) खत्म हो जाएगी। जबकि शनि की इस चाल से मीन, कुंभ और मकर राशि पर शनि की साढ़ेसाती आएगी। यहां ये जान लें कि मकर राशि के जातकों पर शनि साढ़े साती का आखिरी चरण शुरू होगा तो कुंभ वालों पर दूसरा चरण शुरु हो जाएगा। जबकि मीन राशि पर इस परिवर्तन के साथ ही शनि के साढ़े साती की शुरुआत होगी यानि शनि की साढ़ेसाती का पहला चरण शुरू हो जाएगा।
ज्योतिष के जानकार पंडित एके शुक्ला के अनुसार रविवार, 5 जून 2022 को शनि देव पुन: वक्री गति करने लगेंगे और फिर मंगलवार, 12 जुलाई से पुन: मकर राशि में गोचर करने लगेंगे। शनि की इस गति के फलस्वरूप वे राशियां जो शनि के प्राभव से मुक्त हो चुकी थी, वे पुन: शनि की चपेट में आ जाएंगी। शनि मकर राशि में 12 जुलाई 2022 से 17 जनवरी 2023 तक रहेंगे। 17 जनवरी 2023 से मार्गी होने के पश्चात शनिदेव वापस कुंभ राशि में लौट आएंगे।
शनि का ये परिवर्तन इन जातकों को देगा लाभ:
शनि का यह राशि परिवर्तन वृषभ, मिथुन, तुला व धनु राशि वालों के लिए शानदार रहने वाला है। इस दौरान इनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होने के साथ ही समय की अनुकूलता के चलते व्यापार, व्यवसाय आदि में भी लाभ होगा। समय की अनुकूलता आपको अन्य स्त्रोतों से भी पैसा कमाने में मदद करेगी। सफलता प्राप्ति के साथ ही उन्नति व प्रमोशन के भी योग बनेंगे। इस समय आप अच्छा धन अर्जित करने में सफल होने के साथ ही इस दौरान आपको मेहनत का पूरा फल भी मिलेगा।
इनके लिए ये समय रहेगा बेहद खतरनाक
कर्क और वृश्चिक व मीन राशि पर शनि की चाल पर असर: कर्क चंद्र की राशि है जिस पर शनि का ज्यादा असर होगा जबकि वृश्चिक मंगल की राशि है। दोनों ही राशि वालों को इस दौरान हर चीज मे अत्यंत सतर्कता व सावधानी रखनी होगी। वहीं मीन पर शनि की साढ़ेसाती का पहला चरण शुरू होने के चलते इस राशि के जातकों को भी 29 अप्रैल, 2022 से विशेष सावधान रहना होगा।
इस दौरान इन तीनों राशि के जातकों का जीवन शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या की वजह से बुरी तरह प्रभावित हो सकता है। ऐसे में धन-हानि की संभावना भी है।
अत: इस समय इन राशि के जातकों को अत्यंत सोच-विचार करके ही धन खर्च करना होगा। इसके अलावा इस समय इन्हें स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं से भी जुझना पड़ सकता है। अत: अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें। इसके अलावा इस दौरान आपको कई कार्यों में विघ्न का सामना भी करना पड़ सकता है।
बचाव के उपाय :
1. हनुमान जी की पूजा-अर्चना करने से शनि का अशुभ प्रभाव नहीं पड़ता है। हनुमान जी की कृपा प्राप्त करने के लिए रोजाना हनुमान चालीसा का पाठ करें।
2. किसी भी तरह के अनैतिक और गलत कार्य से बचें।
3. हर शनिवार पीपल के पेड़ पर दीया लगाएं। अपने कर्म अच्छे रखें।
4. उचित होगा कि हर शनिवार को छाया दान करें। यानि एक कटोरी में सरसों का तेल डालकर उसमें अपना चेहरा देंखे और उसे कटोरी सहित शनि मंदिर में दान कर दें। इसके अलावा शनि से संबंधित अन्य चीजों का दान कर सकते हैं।
5. बाबा भैरव की पूजा करें।
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