भोपालPublished: Mar 18, 2023 05:35:34 pm
जिस तरह एकादशी की तिथि भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित है, उसी तरह त्रयोदशी तिथि भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित है। यह तिथि जिस वार को पड़ती है, उसे के नाम से जाना जाता है। विद्वानों का कहना है कि हिंदू धर्म मानने वाले व्यक्तियों को एकादशी और त्रयोदशी में से किसी एक व्रत को जरूर रखना चाहिए, अब जब 19 मार्च को रवि प्रदोष व्रत है तो आइये बताते हैं इसके फायदे क्या हैं और रवि प्रदोष व्रत कथा (ravi pradosh vrat katha) क्या है।
रवि प्रदोष व्रत कथा
रवि प्रदोष व्रत मुहूर्तः पंचांग के अनुसार त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 19 मार्च को सुबह 8.07 बजे से हो रही है और यह अगले दिन 20 मार्च को 4.55 बजे संपन्न होगी। लेकिन भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल (सूर्यास्त से 45 मिनट पहले और 45 मिनट बाद के समय के बीच) में 19 मार्च को ही मिलने से इसी दिन रविवार को प्रदोष व्रत रखा जाएगा। 19 मार्च को प्रदोष व्रत पूजा का मुहूर्त शाम 6.31 बजे से रात 8.54 बजे के बीच की जाएगी।
