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nag panchami 2022: Must read this story after worship for the blessings of Nag Devta | Nag Panchami 2022: नाग पंचमी पूजन के बाद जरूर पढ़ें ये कथा, सात पीढ़ियों तक सर्पदंश के भय से मुक्ति मिलने की है मान्यता

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कथा 1-
पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में किसी गांव में एक किसान रहता था जिसके दो पुत्र और एक पुत्री थी। वह किसान बहुत मेहनत करता था। एक दिन जब रोजाना की तरह किसान हल जोत रहा था तो भूलवश उसने वहां एक नागिन के अंडों को कुचल दिया। उस समय नागिन वहां नहीं थी लेकिन जब वह वापस आई तो अपने अंडों को नष्ट पाकर क्रोधित हुई और तभी किसान से बदला लेने का निश्चय कर लिया।तब उस नागिन ने घर पर किसान के दोनों पुत्रों को डस लिया जिससे उनकी मृत्यु हो गई।

हालांकि वह उसकी पुत्री को न डस सकी क्योंकि किसान की बेटी उस वक्त घर पर मौजूद नहीं थी। अगले दिन दोबारा जब पुत्री को डसने की मंशा से नागिन किसान के घर आई तब किसान की बेटी ने नागिन के सामने कटोरी में दूध रख दिया और क्षमा याचना करने लगी। किसान की बेटी को माफी मांगता देख नागिन खुश हुई और उसके दोनों भाइयों को भी जिंदा कर दिया। यह घटना सावन में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को हुई थी तभी से इस दिन नागों की पूजा की जाने लगी।

कथा 2-
एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार एक राजा था जिसकी पत्नी गर्भवती थी। पत्नी को फल खाने की इच्छा हुई तो उसने राजा को जंगल से लाने के लिए कहा। राजा जंगल से करैली तोड़ रहा था कि तभी वहां नाग देवता प्रकट हुए और राजा से बोलने लगी कि तुमने मेरी रजामंदी के बिना करैली क्यों तोड़ी। राजा ने इसके लिए नाग देवता से माफी मांगी लेकिन उन्होंने राजा की एक नहीं सुनी। राजा ने नाग देवता से कहा कि, उसकी पत्नी गर्भवती है और वह उसे वचन देकर आए हैं इसलिए करैली कर ले कर जाना चाहते हैं।

नाग देवता ने राजा के सामने शर्त रखी कि वह करैली घर लेकर जा सकता है लेकिन इसके बदले में राजा की पहली संतान नाग देवता को देनी पड़ेगी। उस समय राजा को कुछ भी समझ नहीं आया और वह नाग देवता को वादा करके घर लौट आया।

घर आकर पूरा वृतांत राजा ने रानी को सुनाया। फिर रानी ने एक बेटे और एक बेटी का जन्म दिया। तब कुछ ही दिनों बाद नाग देवता राजा के घर वचन के अनुसार उसकी संतान लेने पहुंच गए। लेकिन राजा ने कहा कि, मेरी पहली संतान पुत्री है पर मैं उसे मुंडन के बाद ही दूंगा। नाग देवता वहां से चले गए। फिर वह दोबारा आए तो राजा ने कहा कि मेरी पुत्री के विवाह के बाद आना तभी दूंगा। लेकिन नाग देवता ने सोचा कि बेटी के विवाह पश्चात तो बाप का उस पर कोई हक नहीं होता। इसलिए उसी समय नाग ने राजा की बेटी को ले जाने का सोच लिया।

फिर एक दिन नाग देवता राजा की बेटी को उठाकर ले गए। राजा ने जैसे ही यह जाना तो दुख के कारण उसकी मृत्यु हो गई। राजा की मृत्यु की बात पता चलने पर रानी भी शोक से मर गई। अब घर में केवल राजा का पुत्र ही बाकी था जिसको उसके रिश्तेदारों ने लूट लिया और भिखारियों की तरह इधर-उधर भटकने लगा। एक दिन भीख मांगते हुए राजा का बेटा अपनी बहन के पास नाग के घर पहुंच गया। तब उसकी बहन ने अपने भाई को पहचान कर अपने साथ ही रख लिया। इसके बाद दोनों भाई-बहन एक साथ प्रेम से रहने लगे। मान्यता है कि तभी से नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है।

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