जानें इस दिन पूजा-अर्चना की विधि
भोपाल
Updated: March 11, 2022 04:03:41 pm
फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को गोविंद द्वादशी व्रत होता है। इस वर्ष यह मंगलवार 15 मार्च 2022 को है, मत-मतांतर के चलते कई स्थानों पर यह व्रत 14 मार्च, सोमवार को भी किया जाएगा।

govind dwadashi- bhom pradosh vrat
इस दिन भगवान गोविंद की पूजा-अर्चना करने का विधान है। इस व्रत को रखने से मनोवांछित फल प्राप्त होता है। इसी दिन भौम प्रदोष व्रत भी है। भौम प्रदोष व्रत होने के कारण भगवान शिव के साथ-साथ हनुमान जी की भी विशेष आराधना की जाएगी।
धर्मग्रंथों के अनुसार शुक्ल पक्ष की द्वादशी को गोविंद द्वादशी मनाई जाती है। इस वर्ष यह व्रत मंगलवार 15 मार्च को मनाया जा रहा है। यह व्रत करने वालों को संतान की प्राप्ति होकर समस्त धन-धान्य, सौभाग्य का सुख मिलता है। यह व्रत करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
पुराणों में यह व्रत समस्त कार्य को सिद्ध करने वाला होता है। यह व्रत पूर्ण श्रद्धा एवं विश्वास के साथ करना चाहिए। इसकी पूजा एकादशी के उपवास की भांति ही होती है। यह व्रत बीमारियों को दूर करता है।
गोविंद द्वादशी पर ऐसे करें पूजन
: गोविंद द्वादशी के दिन नित्य कर्म से निवृत्त होकर स्नान के पश्चात भगवान लक्ष्मीनारायण की पूजा करनी चाहिए।
: इस पूजा में मौली, रोली, कुंमकुंम, केले के पत्ते, फल, पंचामृत, तिल, सुपारी, पान एवं दूर्वा आदि रखना चाहिए।
:पूजा के लिए (दूध, शहद, केला, गंगाजल, तुलसी पत्ता, मेवा) मिलाकर पंचामृत से भगवान को भोग लगाएं।
: द्वादशी कथा का वाचन करना चाहिए।
: इसके बाद लक्ष्मी देवी एवं अन्य देवों की स्तुति-आरती की जाती है।
: पूजन के बाद चरणामृत एवं प्रसाद सभी को बांटें।
: ब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद दक्षिणा देनी चाहिए। फिर खुद भोजन करें।
: इस दिन अपने पूर्वजों का तर्पण करने का भी विधान है।
: यह व्रत सर्वसुखों के साथ-साथ बीमारियों को दूर करने में भी कारगर है। अत: फाल्गुन द्वादशी के दिन पूरे मनोभाव से पूजा-पाठ आदि करते हुए दिन व्यतीत करना चाहिए।
भौम प्रदोष पर ऐसे करें पूजन
इसी दिन यानि 15 मार्च 2022 को ही प्रदोष काल रहेगा ऐसे में भौम प्रदोष होने के चलते इस दिन मंगल ग्रह की शांति के लिए इस दिन व्रत रखकर शाम के समय हनुमान और भोलेनाथ की पूजा की जाती है।
: इस दिन हनुमान मंदिर में हनुमान चालीसा का पाठ करके बजरंग बली को बूंदी के लड्डू अर्पित करके उसके बाद व्रतधारी को भोजन करना चाहिए।
: भौम प्रदोष का व्रत बहुत प्रभावकारी माना गया है।
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