भोपालPublished: May 21, 2023 09:46:35 pm
पापनाशिनी गंगा के धरती पर अवतरण की कथा अत्यंत रोचक है। इनकी महिमा ऐसी है जन्म से लेकर मृत्यु तक के किसी भी धार्मिक कार्य की पूर्णावती इनके बगैर संभव नहीं है। मान्यता है कि मृत्यु से पहले गंगाजल की कुछ बूंदे ही पापियों को तार देती हैं। गंगा के अवतरण दिवस पर आइये पढ़ते हैं गंगा दशहरा की कथा…
गंगा दशहरा की कथा
गंगा दशहरा पर गंगा के अवतरण की कथा
मान्यता है ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी को ही पापनाशिनी गंगा देवलोक से धरती पर उतरीं थीं। इसलिए इस दिन को भारत भर के हिंदू धर्मावलंबी गंगा दशहरा के रूप में मनाते हैं। इस दिन माता गंगा की पूजा अर्चना की जाती है और व्रत रखा जाता है। गंगा दशहरा इस साल 30 मई को पड़ रहा है। बहरहाल आइये पढ़ते हैं गंगा के अवतरण की कथा..
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार प्राचीन काल में अयोध्या नगर में सगर नाम के प्रतापी राजा राज्य करते थे। कहा जाता है कि उन्होंने सातों समुद्रों को जीतकर अपने राज्य का विस्तार कर लिया था। उन्हीं सगर की केशिनी और सुमति नाम की रानियां थीं। ग्रंथों में पहली रानी के एक पुत्र असमंजस और राजा सगर की दूसरी रानी सुमति के साठ हजार पुत्रों का वर्णन मिलता है ।
