हल षष्ठी व्रत की पूजा विधि
इस दिन महिलाएं सुबह जल्दी उठकर नित्य कर्मों से निपटकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इस दिन पूजा किए बिना पानी भी नहीं पिया जाता है।
इसके बाद पूजा स्थल की सफाई करके गंगाजल छिड़कें। इसके बाद भगवान श्री कृष्ण और बलराम जी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। श्री कृष्ण को पीले और भगवान बलराम नीले रंग के वस्त्र पहनाएं। फूल, फल अर्पित करें। माखन, मिश्री और पीले फलों का भोग लगाएं। दीप जलाकर आरती करें। इस दिन भगवान बलराम के शस्त्र हल की पूजा का भी विधान है। पूजा में भी बलराम जी की मूर्ति के बगल में एक छोटा हल रखें।
इसके बाद कृष्ण-बलराम स्तुति का पाठ करें। पूजा के बाद हाथ जोड़कर मन में तेजस्वी संतान की प्राप्ति और उसकी खुशहाली की प्रार्थना करें। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन व्रत करने वाली महिलाओं को अनाज और जमीन में उगने वाली यानी हल जुती सब्जियां तथा गाय के दूध का सेवन नहीं करना चाहिए। व्रत खोलने के लिए तालाब में उगे हुए फल या चावल खा सकते हैं।
हल षष्ठी व्रत का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह व्रत संतान की खुशहाली और दीर्घायु के लिए रखा जाता है। वहीं हल षष्ठी या बलराम जयंती के दिन जो महिलाएं पूरे विधि-विधान से पूजा करती हैं और व्रत रखती हैं उन्हें भगवान बलराम के आशीर्वाद से तेजस्वी संतान का सुख प्राप्त होता है।
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