कुबेर यंत्र को स्थापित करने की विधि:
-इस यंत्र को घर के पूजा स्थल पर स्थापित कर सकते हैं।
-इसे स्थापित करने से पहले दूध, फूल और गंगाजल से इसकी शुद्धि कर लेनी चाहिए।
-इस यंत्र की स्थापना उत्तर दिशा में स्थित प्रवेश द्वार के पास दक्षिण मुख की तरफ कर सकते हैं।
-इसकी स्थापना के बाद ‘ॐ कुबेराय नम’ मंत्र का जाप जरूर करें।
-इस यंत्र की स्थापना शुक्रवार के दिन अमृत सिद्धि और सर्वार्थ सिद्धि योग में कर सकते हैं।
दीवाली के दिन इस यंत्र की स्थापना करना सबसे शुभ माना जाता है।
कुबेर देवता कैसे बने धन के देवता: पौराणिक कथाओं के अनुसार कुबेर देवता पिछले जन्म में एक ब्राह्मण थे। शुरुआत में उनका स्वभाव अच्छा था लेकिन बुरी संगति में पड़ने के कारण उन्होंने घर की सारी धन-संपत्ति को नष्ट कर दिया। फिर एक दिन वह अपना घर छोड़कर जंगल चले गये। जंगल में वो भूख और प्यास से तड़प उठे। संयोग वश उस दिन शिवरात्रि थी और वो भोजन की तलाश में शिव मंदिर पहुँच गये।
गुणनिधि (कुबेर देवता के पिछले जन्म का नाम) को मन में शिव मंदिर में रखे प्रसाद को चुराने का विचार आया। चूंकि मंदिर में शिव भक्त थे जिस कारण वो अपनी योजना में सफल नहीं हो पा रहे थे। उन्होंने रात तक भक्तों के सोने का इंतज़ार किया। जब भक्त सो गए तब उन्होंने भगवान शिव के प्रसाद को चुराकर भागने की कोशिश की। ऐसा करते देख उन्हें मंदिर के पुजारी ने देख लिया और उन पर तुरंत ही बाण चला दिया जिससे उनकी मृत्यु हो गई।
उनकी आत्मा को जब यमदूत ले जा रहे थे तभी भगवान शिव ने अपने सेवकों को उसे लाने का आदेश दिया। भगवान शिव के सेवक गुणनिधि की आत्मा को शिव के पास ले आए। भगवान शिव ने गुणनिधि से कहा कि मैं तुम्हारी अनचाही भक्ति से बहुत प्रसन्न हुआ हूँ। अत: तुम्हारे सारे पाप मुक्त हो गए हैं और तुम्हें शिवलोक की प्राप्ति हुई है। कहते हैं इसके बाद गुणनिधि धन के देवता कुबेर बन गए।
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